रतन टाटा की वसीयत: रतन टाटा की वसीयत के बारे में कई महत्वपूर्ण खुलासे सामने आ रहे हैं. रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने अपनी संपत्ति का लगभग 3800 करोड़ रुपये समाज सेवा के लिए दान किया है. इसके अतिरिक्त, रतन टाटा की वसीयत में उनके करीबी लोगों का भी उल्लेख है, जहां कुछ को बड़ी संपत्ति []
Published: Wednesday, 2 April 2025 at 12:44 am | Modified: Thursday, 3 April 2025 at 08:17 am | By: Kapil Sharma | 📂 Category: कारोबार
रतन टाटा की वसीयत: रतन टाटा की वसीयत के बारे में कई महत्वपूर्ण खुलासे सामने आ रहे हैं. रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने अपनी संपत्ति का लगभग 3800 करोड़ रुपये समाज सेवा के लिए दान किया है.
इसके अतिरिक्त, रतन टाटा की वसीयत में उनके करीबी लोगों का भी उल्लेख है, जहां कुछ को बड़ी संपत्ति मिली है जबकि अन्य को शानदार उपहार दिए गए हैं. आइए जानते हैं कि रतन टाटा की वसीयत में उनके सबसे नजदीकी व्यक्ति शांतनु नायडू को क्या हासिल हुआ है.
शांतनु नायडू को क्या मिला?
अगर हम शांतनु नायडू की बात करें, तो वह रतन टाटा के अंतिम दिनों में उनके साथ हर समय रहते थे. कहा जाता है कि शांतनु नायडू उन wenigen लोगों में से एक थे, जिन्हें रतन टाटा बहुत मानते थे. अब ईटी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रतन टाटा की वसीयत में शांतनु का नाम भी है. वास्तव में, शांतनु नायडू टाटा ट्रस्ट में डिप्टी मैनेजर हैं और रतन टाटा के निजी सहायक भी रह चुके हैं. वसीयत में उन्हें जो मिला है, वह स्टार्टअप गुडफेलोज में हिस्सेदारी है. इसके साथ ही, उनका एजुकेशन लोन भी माफ कर दिया गया है.
शांतनु नायडू का परिचय:
शांतनु नायडू को रतन टाटा के करीबी मित्र और सहायक के रूप में जाना जाता है. उनका जन्म 1993 में पुणे, महाराष्ट्र में एक तेलुगु परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद, उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से MBA किया, जहां उन्हें कई पुरस्कार मिले.
वह 2017 से टाटा ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं और वर्तमान में टाटा समूह में जनरल मैनेजर के रूप में कार्य कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त, वह नए स्टार्टअप्स में निवेश के लिए टाटा समूह को सलाह भी देते हैं.
शांतनु नायडू को समाज सेवा और पशुओं के प्रति गहरी रुचि है. उन्होंने “मोटोपॉज” नामक एक संस्था की स्थापना की है, जो सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों की मदद करती है. इस संस्था के तहत, उन्होंने विशेष डेनिम कॉलर बनाए हैं जिनमें रिफ्लेक्टर होते हैं, जिससे रात में जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है.
दान की गई संपत्ति:
दान की गई संपत्ति की बात करें तो यह लगभग 3800 करोड़ रुपये है. इसमें व्यक्तिगत संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा शामिल है. इसके अलावा, दान की गई संपत्ति में टाटा संस की 0.83 फीसदी हिस्सेदारी भी शामिल है. इसका उपयोग टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन जैसे चैरिटी संगठनों के लिए किया जाएगा. इसके अलावा, रतन टाटा की संपत्ति, जिसमें उनका जुहू का 13,000 वर्गफुट का बंगला, अलीबाग का बंगला और 350 करोड़ की फिक्स डिपॉजिट्स का अधिकांश हिस्सा परोपकारी कार्यों के लिए खर्च किया जाएगा.