रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वित्तीय वर्ष 2025 के अंत में चार वर्षों में सबसे बड़ा ओपन मार्केट ऑपरेशन किया है। मंगलवार को केंद्रीय बैंक ने बताया कि वह 80,000 करोड़ रुपये के सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा। यह प्रक्रिया चार किश्तों में संपन्न होगी। 3 अप्रैल, 8 अप्रैल, 22 अप्रैल और 29 अप्रैल को []
Published: Wednesday, 2 April 2025 at 04:36 am | Modified: Thursday, 3 April 2025 at 08:45 am | By: Kapil Sharma | 📂 Category: कारोबार
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वित्तीय वर्ष 2025 के अंत में चार वर्षों में सबसे बड़ा ओपन मार्केट ऑपरेशन किया है। मंगलवार को केंद्रीय बैंक ने बताया कि वह 80,000 करोड़ रुपये के सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा। यह प्रक्रिया चार किश्तों में संपन्न होगी। 3 अप्रैल, 8 अप्रैल, 22 अप्रैल और 29 अप्रैल को हर बार 20,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे जाएंगे।
मार्च में भी RBI ने 1 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी बाजार में डाली थी, जो दो किश्तों में 50,000-50,000 करोड़ की थी। RBI ने यह स्पष्ट किया है कि वह बाजार की स्थिति और लिक्विडिटी पर ध्यान रखे हुए है और आवश्यकतानुसार आगे के कदम उठाने के लिए तैयार है।
भारतीय बैंकिंग प्रणाली में मार्च 2025 के अंत तक 89,400 करोड़ रुपये का सरप्लस था, जबकि जनवरी में 3.3 लाख करोड़ रुपये का डेफिसिट देखा गया था। इस प्रकार RBI के हस्तक्षेप के कारण स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
RBI का यह कदम आवश्यक क्यों है? आर्थिक सुधार अभी पूरी तरह से स्थापित नहीं हुआ है। महंगाई और औद्योगिक विकास में मंदी के संकेत मिल रहे हैं। वैश्विक आर्थिक मंदी और रूस-यूक्रेन युद्ध का असर भारतीय बाजार पर पड़ रहा है। RBI का यह निर्णय बाजार को स्थिरता प्रदान करने का प्रयास है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने RBI के 90वें स्थापना दिवस पर मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि आगामी दशक भारतीय अर्थव्यवस्था के वित्तीय ढांचे को नए रूप में आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि RBI की स्थापना 90 साल पहले भारत की मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता के संरक्षक के रूप में हुई थी। इन वर्षों में, RBI ने बदलती आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार अपने को अनुकूलित किया है, लेकिन देश की प्रगति और लोगों के कल्याण के प्रति इसका संकल्प हमेशा मजबूत रहा है।