प्रदेश में 1.84 लाख टीबी के मरीज मध्य प्रदेश में वर्तमान में 1.84 लाख टीबी के मरीज हैं। वहीं राजस्थान में यह संख्या 1.65 लाख है। हर साल लगभग डेढ़ लाख मरीजों का इलाज डाट्स थेरेपी के जरिए किया जाता है। बिगड़ी टीबी के मरीजों की संख्या लगभग 5000 है। टीबी के इलाज के लिए []
Published: Sunday, 30 March 2025 at 12:37 am | Modified: Sunday, 30 March 2025 at 12:37 am | By: Kapil Sharma | 📂 Category: शहर और राज्य
प्रदेश में 1.84 लाख टीबी के मरीज
मध्य प्रदेश में वर्तमान में 1.84 लाख टीबी के मरीज हैं। वहीं राजस्थान में यह संख्या 1.65 लाख है। हर साल लगभग डेढ़ लाख मरीजों का इलाज डाट्स थेरेपी के जरिए किया जाता है। बिगड़ी टीबी के मरीजों की संख्या लगभग 5000 है।
टीबी के इलाज के लिए दवाओं की स्थिति
केंद्र सरकार ने सितंबर 2024 में बिगड़ी मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) के इलाज के लिए चार नई दवाओं को मंजूरी दी थी। हालांकि मध्य प्रदेश में इनका फार्मूला तो मिल गया, लेकिन इस श्रेणी की सिर्फ तीन दवाएं ही उपलब्ध हैं। इससे इलाज शुरू करने में देरी हो सकती है। गांधी मेडिकल कॉलेज से जुड़े क्षेत्रीय श्वसन रोग संस्थान के अधीक्षक रतन कुमार वैश्य का कहना है कि टीबी का इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए दवा का पूरा कोर्स करना आवश्यक है।
टीबी का उपचार और दवाओं का महत्व
जब कोई मरीज बीच-बीच में दवाएं छोड़ता है तो टीबी का जीवाणु उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। इस स्थिति में सामान्य उपचार उस मरीज पर प्रभावी नहीं होता। इसे टीबी रोग का बिगड़ना कहा जाता है। बिगड़ी टीबी के उपचार के लिए विशेष दवाओं की आवश्यकता होती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले वर्ष बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड, और मोक्सीफ्लोक्सासिन (बीपीएएलएम) नामक तीन दवाओं के संयोजन की मंजूरी दी थी।
दवाओं के कोर्स और प्रशिक्षण
इन दवाओं का कोर्स मरीज की स्थिति के अनुसार छह से नौ महीने तक चल सकता है। यह बताया गया था कि ये दवाएं उन मरीजों पर भी असर करेंगी, जिन पर पारंपरिक उपचार प्रभावी नहीं रहा। लेकिन प्रीटोमैनिड दवा मध्य प्रदेश में अभी उपलब्ध नहीं है। इसके लिए मरीजों को और इंतजार करना पड़ेगा। इस बीच, राज्य क्षय रोग प्रशिक्षण केंद्र प्रदेश के टीबी विशेषज्ञों को इस दवा के उपयोग के लिए प्रशिक्षित कर रहा है।
प्रशिक्षण प्रक्रिया और दवाओं की उपलब्धता
विशेषज्ञों को इन दवाओं के उपयोग के लिए प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया चल रही है। प्रीटोमैनिड दवा अगले महीने तक उपलब्ध होने की संभावना है। जल्द ही प्रदेशभर में नई दवाओं के साथ उपचार शुरू किया जाएगा।
मनोज शर्मा, संचालक, राज्य क्षय रोग प्रशिक्षण केंद्र