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हाथ दिव्यांग फिर भी पांव के पंजों से लिखकर पढ़ाई करती है जगदलपुर की राखी बनना चाहती है आईएएस

यदि किसी कार्य को करने की प्रबल इच्छा हो तो कोई भी कमी बाधा नहीं बन सकती है। यह कहानी छत्तीसगढ़ के जगदलपुर की एक लड़की राखी की है, जो नौवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है। उसके पिता रसोई गैस सिलेंडर की डिलीवरी करके परिवार का पालन-पोषण करते हैं। पढ़ाई की इच्छा: राखी के []

Published: Tuesday, 1 April 2025 at 05:51 pm | Modified: Thursday, 3 April 2025 at 02:49 am | By: Kapil Sharma | 📂 Category: शहर और राज्य

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हाथ दिव्यांग फिर भी पांव के पंजों से लिखकर पढ़ाई करती है जगदलपुर की राखी बनना चाहती है आईएएस

यदि किसी कार्य को करने की प्रबल इच्छा हो तो कोई भी कमी बाधा नहीं बन सकती है। यह कहानी छत्तीसगढ़ के जगदलपुर की एक लड़की राखी की है, जो नौवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है। उसके पिता रसोई गैस सिलेंडर की डिलीवरी करके परिवार का पालन-पोषण करते हैं।

पढ़ाई की इच्छा: राखी के हाथ काम नहीं करते, इसलिए उसने अपने पैरों से लिखना शुरू किया (फोटो- Newsstate24)

HighLights

  1. आत्मानंद विद्यालय की नौवीं कक्षा की छात्रा
  2. राखी की लिखावट सामान्य बच्चों जैसी है
  3. वह अपने माता-पिता को एक अच्छा जीवन देना चाहती है

Newsstate24, जगदलपुर। नानगुर स्वामी आत्मानंद विद्यालय की नौवीं कक्षा की छात्रा राखी नाग अद्वितीय हैं। वह जन्म से ही दिव्यांग हैं, लेकिन पढ़ाई के प्रति उनकी लगन इतनी है कि जब उनके हाथ काम नहीं करते तो वह अपने पैरों के पंजों से लिखने लगीं।

कई वर्षों के अभ्यास के बाद, अब वह इतनी कुशल हो गई हैं कि उनकी लिखावट किसी सामान्य बच्चे की लिखावट के समान है, जो हाथों से लिखता है। राखी का परिवार कैकागढ़ पंचायत के बेंगलुरु गांव में निवास करता है।

राखी के पिता धनसिंह नाग एक निजी गैस एजेंसी के लिए साइकिल से गांव-गांव जाकर गैस सिलेंडर की डिलीवरी करते हैं। उनकी माता चैती एक गृहिणी हैं और इमली, महुआ जैसे वनोपज संग्रहण से प्राप्त आय से परिवार का खर्च उठाने में मदद करती हैं।

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