चैत्र नवरात्र का आरंभ हो चुका है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। इस वर्ष नवरात्र आठ दिन तक चलेंगे। इस पर्व के दौरान पांच बार सर्वार्थसिद्धि और चार बार रवियोग का योग बन रहा है। नवरात्र के इस समय तंत्र, मंत्र और यंत्र की []
Published: Sunday, 30 March 2025 at 06:07 pm | Modified: Sunday, 30 March 2025 at 06:07 pm | By: Kapil Sharma | 📂 Category: शहर और राज्य
चैत्र नवरात्र का आरंभ हो चुका है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। इस वर्ष नवरात्र आठ दिन तक चलेंगे। इस पर्व के दौरान पांच बार सर्वार्थसिद्धि और चार बार रवियोग का योग बन रहा है।
नवरात्र के इस समय तंत्र, मंत्र और यंत्र की सिद्धि के लिए यह योग विशेष महत्व रखता है। चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर पांच अप्रैल को उज्जैन में नगर पूजा का आयोजन किया जाएगा। शक्तिपीठ हरसिद्धि में आरती के समय दीपमालिका प्रज्वलित होगी।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, गुड़ी पड़वा पर आज सर्वार्थसिद्धि योग के महासंयोग में चैत्र नवरात्र का आरंभ हो गया है। इस बार तिथि क्षय के कारण नवरात्र की अवधि आठ दिन रहेगी। पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि इस विशेष योग के समय देवी दुर्गा की आराधना से शुभफल की प्राप्ति होती है।
देश के 52 शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि मंदिर में सुबह छह बजकर 15 मिनट पर घट स्थापना हुई। पुजारी महंत रामचंद्र गिरि के अनुसार, नवरात्र के नौ दिन माता हरसिद्धि शयन नहीं करती हैं, इसलिए मंदिर में शयन आरती नहीं होती है।
शक्तिपीठ में शाक्त पूजा का विधान है। चैत्र और शारदीय नवरात्र के दौरान दोपहर 12 बजे कलेक्टर माता हरसिद्धि की पूजा-अर्चना करने आते हैं। यहां माता सती के दाहिने हाथ की कोहनी गिरी थी। नवरात्र में प्रतिदिन शाम सात बजे संध्या आरती के समय दीपमालिका प्रज्वलित की जाएगी।
घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी इस प्रकार है:
सुबह आठ से 9.30 बजे तक चंचल
सुबह 9.30 से 11 बजे तक लाभ
सुबह 11 से दोपहर 12.30 तक अमृत और अभिजीत
दोपहर दो से 3.30 बजे तक शुभ
सर्वार्थसिद्धि व रवियोग के समय निम्नलिखित हैं:
30 मार्च : शाम चार बजे से रात तक सर्वार्थसिद्धि व रवियोग
एक अप्रैल : सुबह 11.8 बजे से सर्वार्थसिद्धि व रवियोग
दो अप्रैल : सुबह 8.50 बजे से सर्वार्थसिद्धि व रवियोग
चार अप्रैल : सुबह पांच बजे ब्रह्म मुहूर्त से सर्वार्थसिद्धि योग
छह अप्रैल : पुष्य नक्षत्र की साक्षी में सर्वार्थसिद्धि व रवियोग
हरसिद्धि और गढ़कालिका में प्रतिदिन संध्या आरती के समय दीपमालिका प्रज्वलित की जाएगी। भक्त मंदिर कार्यालय में 3100 रुपये की सरकारी रसीद कटवाकर दीपमालिका की बुकिंग करा सकते हैं। वहीं, सिद्धपीठ गढ़कालिका माता मंदिर में भी इसी प्रकार की व्यवस्था है, जहां भक्त 3300 रुपये की रसीद कटवाकर बुकिंग कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर नगर पूजा का आयोजन पांच अप्रैल को होगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी महाराज पूजा-अर्चना करेंगे। सुबह आठ बजे गुदरी चौराहा स्थित माता महामाया और महालया की पूजा से नगर पूजा आरंभ होगी।
पं. डब्बावाला ने बताया कि पंचांग की गणना दो प्रकार से की जाती है। चित्राकैतकी और गृहलाघवी, जिसके कारण तिथि की गणना में मतांतर होता है। चैत्र नवरात्र के संबंध में भी यही स्थिति है।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर हिंदू नववर्ष विक्रम नवसंवत्सर सिद्धार्थी 2082 का आरंभ होगा। नगरवासी शिप्रा के दत्त अखाड़ा और रामघाट पर सुबह छह बजकर 27 मिनट पर सूर्य को अर्घ्य देकर नए वर्ष का स्वागत करेंगे। महाकाल मंदिर के शिखर पर नया ध्वज भी लगाया जाएगा।
नलखेड़ा में मां बगलामुखी मंदिर को सजाया गया है। मुख्य द्वार पर भक्तों की सुविधा के लिए बैरिकेड्स लगाए गए हैं। सुबह माता का विशेष पूजन होगा और नवरात्र के पहले दिन मंगला आरती में हजारों भक्त शामिल होंगे।
देवास में माता टेकरी पर तुलजा भवानी और चामुंडा माता के मंदिर में सुबह घटस्थापना होगी। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रपट मार्ग पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं और पेयजल की व्यवस्था की गई है।