वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विपक्ष ने इसे देश के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लिए हानिकारक कहा, जबकि सरकार ने दावा किया कि इस बिल का उद्देश्य धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप करना नहीं है, बल्कि वक्फ की संपत्तियों का प्रबंधन करना है।
राज्यसभा में भी इस बिल को पेश करने की तैयारी की जा रही है। गुरुवार दोपहर 1 बजे से राज्यसभा में चर्चा शुरू होगी।
लोकसभा में 12 घंटे तक चली बहस के बाद मतदान हुआ और बिल पारित हो गया। इस विधेयक के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 232 सांसदों ने मतदान किया। इसे मोदी सरकार की एक और महत्वपूर्ण जीत माना जा रहा है।
ओवैसी ने बिल को मुस्लिमों के लिए अपमानजनक बताते हुए उसकी प्रति फाड़ दी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह मुसलमानों को देश में दूसरी श्रेणी का नागरिक बनाने की साजिश है और भाजपा हिंदू और मुस्लिम के बीच विभाजन करना चाहती है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह कानून सभी को मानना होगा। उन्होंने विपक्ष के एक सदस्य के बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि अल्पसंख्यक वर्ग इस कानून को नहीं मानेगा। शाह ने स्पष्ट किया कि यह कानून भारत का कानून है और सभी को इसका पालन करना होगा।
उन्होंने जानकारी दी कि 1913 से 2013 तक वक्फ बोर्ड के पास 18 लाख एकड़ जमीन थी, लेकिन पिछले 12 वर्षों में इसमें 21 लाख एकड़ और जुड़ गए हैं। 2013 में वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन भी किया गया था।