भारत की विदेश नीति: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार (23 मार्च) को एक कार्यक्रम में बताया कि भारत उन सीमित देशों में से एक है, जो संघर्षरत दुनिया के दोनों पक्षों के साथ संवाद स्थापित कर सकता है। उन्होंने इस संदर्भ में रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास संघर्ष के मामले में भारत के दृष्टिकोण का उदाहरण दिया।
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बिजनेस टूडे के इवेंट ‘माइंडरश 2025’ में जयशंकर ने कहा, ‘वर्तमान में विभिन्न गुटों में विभाजित दुनिया में, भारत कुछ ऐसे देशों में से है जो रूस या यूक्रेन, इजरायल या ईरान, क्वाड या ब्रिक्स सभी के साथ संवाद कर सकता है। सबका साथ, सबका विकास का सिद्धांत विदेश नीति पर भी समान रूप से लागू होता है।’
भारत के सभी देशों के साथ मजबूत संबंध
पश्चिमी देशों के विपरीत, भारत ने यूक्रेन-रूस युद्ध में किसी एक पक्ष का समर्थन नहीं किया है। पिछले साल पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों का दौरा किया। इसी तरह, इजरायल और ईरान के बीच मतभेदों में भी भारत ने निष्पक्षता बनाए रखी है। भारत ने दोनों देशों के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को संतुलित रखा है। डिफेंस तकनीकों और उपकरणों के लिए इजरायल भारत का एक प्रमुख स्रोत है, जबकि कच्चे तेल के लिए भारत ईरान पर निर्भर है। विश्व के किसी भी संघर्ष में भारत का प्रयास दोनों पक्षों के साथ बातचीत कर शांति स्थापित करने का रहा है।
संघर्षों पर अलग दृष्टिकोण
जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैश्विक नेताओं के साथ बनाए गए संबंध बहुत कुछ स्पष्ट करते हैं। विश्व में राजनीतिक बदलावों के प्रति भारत का दृष्टिकोण भी इसी संदर्भ में विकसित होता है। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को इसके कारणों और व्यापक संदर्भ के साथ स्पष्ट दृष्टिकोण से देखा और इस पर अपने रुख को निर्धारित किया, जबकि कई अन्य देश इस मुद्दे में भावनात्मक रूप से बह गए।