जब वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पूछताछ की गई तो कछुओं की मौत संदिग्ध लगने लगी। दरअसल, कुंड में कपड़ा धोने, नहाने या मछली पकड़ने पर ट्रस्ट ने रोक लगा रखी है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि प्रतिबंध के बाद किसने इस तरह की हरकत की।
रतनपुर के महामाया मंदिर कुंड के पास 30 मृत कछुए पाए गए। सभी कछुए जाल में फंसे हुए थे। जैसे ही यह घटना सामने आई, हड़कंप मच गया। कछुओं की मौत के कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुए हैं और ट्रस्ट के सहयोग से वन विभाग मामले की जांच कर रहा है।
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मंगलवार की सुबह जाल में फंसे हुए मृत कछुओं को देखा गया। एक व्यक्ति ने इसकी सूचना ट्रस्ट को दी, जिसके बाद यह खबर तेजी से फैल गई। पहले तो ऐसा प्रतीत हुआ कि किसी ने कुंड में जाल फेंका और कछुओं को फंसाने के बाद मौके से भाग गया।
विभाग ने इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जांच शुरू की है और अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है। घटना के तुरंत बाद रतनपुर में लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई।
वन विभाग ने कछुओं को अपने कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले शंकर गेट के पास भी अज्ञात तत्वों द्वारा महामाया मैदान की दुकान में आग लगाई गई थी, जिससे यह चर्चा हुई थी कि मंदिर परिसर में असामाजिक तत्वों की मौजूदगी है।
वन विभाग की टीम मृत कछुओं को पोस्टमार्टम के लिए कानन पेंडारी जू लेकर गई। पोस्टमार्टम के दौरान यह जानकारी मिली कि कछुओं की मौत तीन से चार दिन पहले हो चुकी है।
इससे यह आशंका जताई जा रही है कि बदमाशों ने बाहर से मृत कछुओं को लाकर कुंड के पास रखा था। कैमरों की जांच से कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद है। पोस्टमार्टम के बाद कानन पेंडारी में कछुओं का अंतिम संस्कार किया गया।
डीएफओ बिलासपुर वनमंडल के डीएफओ सत्यदेव शर्मा ने कहा कि यह घटना गंभीर है। पोस्टमार्टम के दौरान मिली जानकारी ने मामले को और पेचिदा बना दिया है। आज बिसरा जांच के लिए जबलपुर भेजा जाएगा।