इंदौर से एक बेहद दुखद घटना सामने आई है जिसमें एक रेप पीड़िता को साढ़े पांच घंटे तक तीन अस्पतालों में भटकना पड़ा। उसे पीसी सेठी अस्पताल, एमटीएच अस्पताल और फिर से पीसी सेठी अस्पताल भेजा गया। अंततः, पीड़िता की मेडिकल जांच की गई। दुष्कर्म के शिकार होने के बाद, पीड़िता ने मंगलवार को इलाज []
Published: Wednesday 26 March, 2025 at 03:09 pm | Modified: Wednesday 26 March, 2025 at 03:09 pm | By: Kapil Sharma | 📂 Category: शहर और राज्य
इंदौर से एक बेहद दुखद घटना सामने आई है जिसमें एक रेप पीड़िता को साढ़े पांच घंटे तक तीन अस्पतालों में भटकना पड़ा। उसे पीसी सेठी अस्पताल, एमटीएच अस्पताल और फिर से पीसी सेठी अस्पताल भेजा गया। अंततः, पीड़िता की मेडिकल जांच की गई।
दुष्कर्म के शिकार होने के बाद, पीड़िता ने मंगलवार को इलाज की उम्मीद में अस्पताल का रुख किया, लेकिन यहां भी उसे मदद नहीं मिली। डॉक्टरों ने उसे मेडिकल जांच के लिए अलग-अलग अस्पतालों में भेजते रहे। जब वह पीसी सेठी अस्पताल पहुंची, तो वहां उसे मेडिकोलीगल केस का हवाला देकर एमटीएच अस्पताल भेज दिया गया।
एमटीएच अस्पताल में डॉक्टरों ने कहा कि पीसी सेठी अस्पताल में अधिक स्टाफ है, इसलिए उसे वहीं लौटना चाहिए। जब वह फिर से वहां गई, तो उसे बताया गया कि डॉक्टर दोपहर ढाई बजे आएंगे और उसे इंतजार करना पड़ेगा। साढ़े पांच घंटे की भटकन के बाद, दोपहर तीन बजे उसकी मेडिकल जांच संभव हो सकी।
सरकारी अस्पतालों की यह स्थिति इस बात का प्रमाण है कि लापरवाही किस हद तक हमारे स्वास्थ्य प्रणाली को प्रभावित कर रही है। सरकार के कितने भी दावे हों, लेकिन वास्तविकता यह है कि आज भी सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आम आदमी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
इस स्थिति के लिए केवल सरकार को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। जिन लोगों पर अस्पतालों की व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है, वे खुद इस जिम्मेदारी को निभाने में असमर्थ हैं। न तो वे समय पर अस्पताल पहुंचते हैं और न ही अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं।
महिला ने कुछ दिन पहले खुड़ैल थाने में एक व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। मंगलवार सुबह 9:30 बजे एक महिला पुलिसकर्मी के साथ उसे मेडिकल जांच के लिए पीसी सेठी अस्पताल लाया गया। वहां कोई भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं था, जबकि एक महिला डॉक्टर की आन कॉल ड्यूटी थी।
उसके बाद, पीड़िता को एमटीएच अस्पताल भेजा गया, लेकिन वहां भी उसकी मेडिकल जांच नहीं हो सकी। उसे फिर से पीसी सेठी अस्पताल जाने के लिए कहा गया। वहां पहुंचने पर पता चला कि कोई डॉक्टर नहीं है और स्टाफ ने कहा कि ढाई बजे डॉक्टर आएंगे। अंततः तीन बजे उसकी जांच की गई।
इससे पहले भी कई बार दुष्कर्म पीड़िताओं को मेडिकल जांच के लिए अस्पतालों में इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है। फरवरी 2024 में एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को दो दिन तक मेडिकल के लिए चक्कर लगाना पड़ा था। उस समय भी उसे पीसी सेठी अस्पताल से एमटीएच अस्पताल भेजा गया था यह कहकर कि सोनोग्राफी के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं।
डॉक्टरों की कमी के बारे में जानकारी दी जा चुकी है। अस्पताल में केवल महिला चिकित्सक ही मेडिकल जांच कर सकती हैं। वर्तमान में वहां पांच चिकित्सक हैं, जिनमें से दो अवकाश पर हैं। इस कारण से यह समस्या उत्पन्न हुई है।
डॉक्टरों की कमी के कारण ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। पीसी सेठी अस्पताल में मेडिकल में देरी की सूचना मिलने के बाद संबंधित डॉक्टरों से संपर्क कर पीड़िता का मेडिकल करवाया गया। कई डॉक्टर पीजी की तैयारी के चलते अस्पताल छोड़कर जा चुके हैं।
महिला के मेडिकल के लिए मना नहीं किया गया है। केवल यह कहा गया है कि जो उपचार पीसी सेठी अस्पताल में किया जा सकता है, ऐसे मरीजों को भी एमटीएच में रेफर कर दिया जाता है।