भले ही लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश ने तीनों आरोपियों को जमानत दे दी है, लेकिन उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विशेष न्यायालय में एक अन्य मामला भी चल रहा है। इसकी सुनवाई 11 अप्रैल को निर्धारित की गई है। इस परिस्थिति में, उन्हें अभी जेल में रहना होगा। जानकारी के अनुसार, ईडी ने अब []
Published: Wednesday, 2 April 2025 at 05:38 am | Modified: Thursday, 3 April 2025 at 08:45 am | By: Kapil Sharma | 📂 Category: शहर और राज्य
भले ही लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश ने तीनों आरोपियों को जमानत दे दी है, लेकिन उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विशेष न्यायालय में एक अन्य मामला भी चल रहा है। इसकी सुनवाई 11 अप्रैल को निर्धारित की गई है। इस परिस्थिति में, उन्हें अभी जेल में रहना होगा। जानकारी के अनुसार, ईडी ने अब तक चालान पेश नहीं किया है और 11 अप्रैल को 60 दिन पूरे होने वाले हैं।
लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश राम प्रसाद मिश्र की अदालत ने मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उनके सहयोगियों चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल की जमानत मंजूर कर ली है। तीनों को एक एक लाख रुपये की जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए गए हैं।
इस प्रकरण में 60 दिन का समय पूरा हो चुका है। लोकायुक्त पुलिस आरोप पत्र पेश नहीं कर सकी, जिसका फायदा सौरभ शर्मा को मिल गया।
पूर्व में सौरभ शर्मा की नियमित जमानत को इसी अदालत ने 19 फरवरी को नामंजूर कर दिया था। तीनों आरोपितों के वकीलों ने न्यायालय में यह तर्क प्रस्तुत किया कि लोकायुक्त ने चालान पेश नहीं किया है और इसी कारण जमानत की मांग की गई थी।
28 मार्च को इस मामले में 60 दिन पूरे हो गए थे, लेकिन लोकायुक्त टीम ने चालान नहीं पेश किया, जिससे तीनों आरोपितों को राहत मिली। न्यायालय ने राकेश कुमार पाल बनाम असम राज्य (2017) के मामले का हवाला देते हुए पूर्व आरक्षक और उनके साथियों को जमानत देने का निर्णय लिया।
सौरभ शर्मा के खिलाफ जो धाराएं लगाई गई हैं, उनमें 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। 10 वर्ष तक की सजाओं के मामलों में चालान 60 दिन के भीतर पेश करना आवश्यक होता है।