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छत्तीसगढ़ के लेखक विनोद कुमार शुक्ल को मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार

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ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा के साथ विनोद कुमार शुक्ल के योगदान को एक बार फिर से सामने लाया गया है। यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि छत्तीसगढ़ और हिंदी साहित्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।

छत्तीसगढ़ के साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार
विनोद कुमार शुक्ल

HighLights

  1. शुक्ल की रचनाओं ने उन्हें देश-विदेश में प्रसिद्धि दिलाई है।
  2. पुरस्कार की घोषणा से साहित्य जगत में खुशी की लहर है।
  3. यह हिंदी साहित्य और छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण है।

प्रसिद्ध हिंदी कवि और कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को इस वर्ष का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह सम्मान छत्तीसगढ़ के इस साहित्यकार के लिए पहली बार है, जो हिंदी साहित्य और छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। शुक्ल की अद्वितीय लेखन शैली और संवेदनशील रचनाओं ने उन्हें देश-विदेश में नाम कमाने में मदद की है। इस घोषणा के बाद साहित्य जगत में खुशी की लहर दौड़ गई है।

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विनोद कुमार शुक्ल का परिचय

  • विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ।
  • उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय से पूरी की और प्राध्यापक के रूप में कार्य करते हुए साहित्य सृजन को समर्पित किया।
  • उनकी लेखन शैली को ‘जादुई यथार्थवाद’ के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो साधारण जीवन की गहरी संवेदनाओं को प्रकट करती है।
  • वे कविता और गद्य दोनों में समान रूप से दक्ष हैं और हिंदी साहित्य में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं।
  • मध्यवर्गीय जीवन की बारीकियों को उनकी रचनाओं में अद्भुत ढंग से चित्रित किया गया है।

प्रमुख कृतियां

विनोद कुमार शुक्ल ने कविता, उपन्यास और कहानी संग्रह के जरिए हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। उनकी कुछ प्रमुख कृतियां इस प्रकार हैं:

कविता संग्रह

  • लगभग जय हिन्द (1971)
  • वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर विचार की तरह (1981)
  • सब कुछ होना बचा रहेगा (1992)
  • कविता से लंबी कविता (2001)

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उपन्यास

  • नौकर की कमीज़ (1979) – जिस पर मणि कौल ने इसी नाम से फिल्म बनाई।
  • दीवार में एक खिड़की रहती थी – साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।
  • खिलेगा तो देखेंगे
  • हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़

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कहानी संग्रह

  • पेड़ पर कमरा
  • महाविद्यालय

उनकी रचनाओं का कई भारतीय और विदेशी भाषाओं जैसे अंग्रेजी, जर्मन, इतालवी, मराठी और मलयालम में अनुवाद किया जा चुका है।

अब तक प्राप्त पुरस्कार

विनोद कुमार शुक्ल को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें शामिल हैं:

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (1999) – उपन्यास दीवार में एक खिड़की रहती थी के लिए।
  • पेन/नाबोकोव पुरस्कार (2023) – अमेरिका में साहित्य का ऑस्कर माना जाने वाला यह पुरस्कार उन्हें हिंदी के पहले साहित्यकार के रूप में मिला।
  • गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप – मध्य प्रदेश शासन द्वारा।
  • राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान – मध्य प्रदेश शासन द्वारा।
  • शिखर सम्मान – मध्य प्रदेश शासन द्वारा।
  • रजा पुरस्कार – मध्य प्रदेश कला परिषद द्वारा।
  • हिन्दी गौरव सम्मान – उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा।
  • परिवार पुरस्कार (2012) – हिंदी काव्य साहित्य में योगदान के लिए।
  • दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान (1997) और रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार (1992)।

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प्रमुख साक्षात्कार

विनोद कुमार शुक्ल के साक्षात्कार उनकी सरलता और गहन चिंतन को दर्शाते हैं, जो साहित्य प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय रहे हैं। कुछ उल्लेखनीय साक्षात्कार:

  • पीयूष दईया के साथ साक्षात्कार (समालोचन, 2014): इस साक्षात्कार में शुक्ल ने अपनी रचनात्मक प्रक्रिया, मणि कौल के साथ सहयोग और साहित्य-सिनेमा के रिश्तों पर विस्तार से चर्चा की। उनकी शैली को “राग की तरह निनादित” कहा गया।
  • डॉ. प्रकाश उप्रेती के साथ साक्षात्कार (टीवी9 हिंदी, 2023): हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में ‘राइटर इन रेजिडेंस’ के दौरान लिया गया यह साक्षात्कार उनकी लेखन की शुरुआत और कविताओं के प्रति उनके दृष्टिकोण को उजागर करता है। इसमें उनकी सरलता और गुमान से परे व्यक्तित्व की झलक मिलती है।

विनोद कुमार शुक्ल

  • विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के कवि, कथाकार और उपन्यासकार हैं। 1 जनवरी 1937 को भारत के राज्य छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में जन्मे श्री शुक्ल हिंदी साहित्य के विशाल परिदृश्य में अपनी विशिष्ट भाषिक संरचना और संवेदनात्मक गहराई के लिए जाने जाते हैं।
  • उनकी अनोखी मौलिक लेखन शैली ने भारतीय और वैश्विक साहित्य पर गहरा प्रभाव डाला है। इसे ‘जादुई यथार्थ’ के रूप में महसूस किया जा सकता है। विनोद कुमार शुक्ल समकालीन हिंदी कविता को अपने मौलिक कृतित्व से समृद्ध करते हैं और इसके लिए वे पूरे भारतीय काव्य परिदृश्य में विशिष्ट रूप से पहचाने जाते हैं। वे एक उत्कृष्ट कवि, कथाकार और उपन्यासकार हैं।
  • उनके उपन्यासों ने हिंदी में पहली बार एक मौलिक भारतीय उपन्यास की संभावनाओं के लिए रास्ता खोला है। उन्होंने एक साथ लोक आख्यान और आधुनिक मनुष्य के अस्तित्व संबंधी जटिल आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति को समाहित कर एक नये कथा ढांचे का निर्माण किया है।
  • मध्यवर्गीय जीवन की बहुविध बारीकियों को समेटे, उनके विलक्षण चरित्रों, काव्यशिल्प और कथन का साहित्य में समृद्धिकारी योगदान है। वे अपनी पीढ़ी के ऐसे एकल लेखक माने जाते हैं, जिनके लेखन ने एक नई तरह की आलोचनात्मक दृष्टि विकसित करने की प्रेरणा दी है। डेढ़ दशक से अधिक समय से बच्चे और किशोर, शुक्ल के लेखन का केंद्रबिंदु रहे हैं।
  • बच्चों के लिए उन्होंने उपन्यास, कहानियाँ और कविताएं लिखी हैं जिनके संग्रह प्रकाशित हुए हैं। फिल्म और नाट्य विधा ने भी उनकी रचनाओं को आत्मसात किया है। उनकी कृतियों पर बनी फिल्में वेनिस एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में चर्चित और पुरस्कृत हुई हैं।
  • मनुष्य होने की विडंबना और चिंता के शांत और मितभाषी कवि, निपट मध्यवर्गीय दुनिया और उसकी रोज़मर्रा की जिंदगी से एक अप्रत्याशित संसार गढ़ने वाले सर्जक विनोद कुमार शुक्ल को अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है।
  • इनमें भारत सरकार का ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, मध्यप्रदेश शासन का ‘राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, मोदी फाउंडेशन का ‘दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान’, अमर उजाला का ‘आकाशदीप अलंकरण’ आदि प्रमुख हैं।
  • साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान ‘महत्तर सदस्यता (फेलोशिप)’ से सम्मानित किया है। अंतरराष्ट्रीय साहित्य में श्री शुक्ल के योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2023 के ‘पेन-नोबोकोव अवार्ड फॉर अचीवमेंट इन इंटरनेशनल लिटरेचर’ से नवाजा गया है।
  • उनकी रचनाओं का कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। अपनी विशिष्ट भाषिक संरचना, संवेदनात्मक गहराई और उत्कृष्ट सृजनशीलता के साथ, श्री शुक्ल ने भारतीय और वैश्विक साहित्य को समृद्ध किया है। 89 वर्षीय श्री शुक्ल निरंतर लेखन में संलग्न हैं।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb