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डॉ. राजेश कुमार शुक्ला ने विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया में यूजीसी रेगुलेशन 2018 के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उन्होंने कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अयोग्य आवेदकों को गलत तरीके से सत्यापन के आधार पर साक्षात्कार के लिए योग्य घोषित किया, जो नियमों के खिलाफ है।

HighLights
- हाई कोर्ट के आदेश तक अटल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर (कॉमर्स) की नियुक्ति पर रोक।
- न्यायालय के निर्णय पर निर्भर करेगा विवि द्वारा नियुक्त किए गए उम्मीदवार की वैधता।
- भर्ती प्रक्रिया में यूजीसी रेगुलेशन 2018 के उल्लंघन को लेकर याचिका दायर की गई थी।
Newsstate24 प्रतिनिधि, बिलासपुर। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में प्रोफेसर (कॉमर्स) के पद की नियुक्ति प्रक्रिया उच्च न्यायालय के आदेश से बाधित हो गई है। विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त किए गए उम्मीदवार की वैधता अब न्यायालय के निर्णय पर निर्भर करेगी।
आवेदक डॉ. राजेश कुमार शुक्ला ने विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया में यूजीसी रेगुलेशन 2018 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अयोग्य आवेदकों को त्रुटिपूर्ण सत्यापन के आधार पर साक्षात्कार के लिए योग्य घोषित किया, जो नियमों के खिलाफ है।
इस मामले में 21 मार्च 2025 को हुई सुनवाई के दौरान माननीय उच्च न्यायालय ने नियुक्ति प्रक्रिया और चयनित उम्मीदवार की वैधता को अपने अंतिम निर्णय तक रोकने का आदेश दिया है।
विश्वविद्यालय की लापरवाही का पर्दाफाश
विश्वविद्यालय प्रशासन ने 10 फरवरी 2025 को आवेदकों को उनके संवैधानिक नियुक्ति पत्र और पिछले 10 वर्षों के आईटीआर/फार्म-16 जमा करने का निर्देश दिया था। आवेदकों को 17 फरवरी 2025 की शाम 5 बजे तक कुलसचिव के ई-मेल पर दस्तावेज भेजने का समय दिया गया। लेकिन, 6 मार्च 2025 को बिना उचित जांच के सभी नौ आवेदकों को साक्षात्कार के लिए योग्य घोषित कर दिया गया।
न्यायालय में चुनौती दी गई
त्रुटिपूर्ण सत्यापन के खिलाफ 8 मार्च 2025 को डॉ. राजेश कुमार शुक्ला ने कुलसचिव को लिखित आपत्ति और ई-मेल भेजकर इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए। लेकिन, विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी आपत्ति को नजरअंदाज करते हुए 22 मार्च 2025 को साक्षात्कार आयोजित करने की घोषणा कर दी।
इससे असंतुष्ट होकर डॉ. शुक्ला ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इसके बाद न्यायालय ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी। अब इस मामले की अंतिम वैधता छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के फैसले पर निर्भर करेगी।