देश-विदेश में अपनी खुशबू और स्वाद से लोगों को आकर्षित करने वाला सुंदरजा आम इस बार मौसम की स्थिति के कारण प्रभावित हुआ है। उत्पादन में कमी और लगातार बारिश के छोटे-छोटे अंतराल ने आम के बगीचों के मालिकों को चिंता में डाल दिया है। सुंदरजा आम की खासियत यह है कि इसे मधुमेह के मरीज भी सेवन कर सकते हैं।

HighLights
- सुंदरजा आम की विशेषता है कि इसे मधुमेह के रोगी भी खा सकते हैं।
- फरवरी तक लग जाती थी बोली- इस बार अप्रैल तक नहीं आए व्यापारी।
- 1968 में सुंदरजा आम के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया था।
श्याम मिश्रा, Newsstate24, रीवा(Rewa Sunderja Mango)। देश और विदेश में अपनी खुशबू और स्वाद से लोगों को आकर्षित करने वाला सुंदरजा आम इस बार मौसम के प्रभाव में उलझ गया है। उत्पादन में कमी और बार-बार बारिश के क्रम ने आम के बगीचों के मालिकों को चिंता में डाल दिया है।
पिछले साल तक जनवरी या फरवरी के बीच आम के बगीचों के व्यापारी बोली लगाकर खरीद लेते थे। इस बार अप्रैल के पांच दिन गुजर जाने के बावजूद बगीचों के संचालक व्यापारियों का इंतजार कर रहे हैं। यही वजह है कि कुठलिया आम बगीचे की नीलामी केवल 12 लाख 12 हजार रुपये तक होने की संभावना है। वहीं गोविंदगढ़ बगीचे की नीलामी लगभग 32 लाख रुपये में हो चुकी है।
किसान रामबहोर तिवारी ने कहा कि इस बार उनके बगीचे में आम के खरीदार नहीं आए हैं। पिछले सालों में फरवरी में ही व्यापारी आकर उन्हें पैसे दे देते थे और पूरा बगीचा खरीद लेते थे। इस बार बारिश के अंतराल के कारण बौर आमों पर कम आए हैं, और खराब मौसम ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।
रेशे रहित आम मधुमेह रोगियों के लिए है प्रिय
सुंदरजा आम की एक खासियत यह है कि यह बिना रेशों वाला होता है और इसे मधुमेह के मरीज भी खा सकते हैं। यह आम पकने के बाद 15 दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है। रीवा सफेद बाघ के साथ-साथ फलों के राजा आम ‘सुंदरजा’ के लिए भी प्रसिद्ध है। इस आम की देश और विदेश में अच्छी मांग है। पिछले साल सुंदरजा आम की लगभग 19 टन पैदावार हुई थी, लेकिन इस वर्ष 12 टन तक होने का अनुमान है।
गोविंदगढ़ में होती है उत्पादन
पहले सुंदरजा आम केवल गोविंदगढ़ किले के बगीचों में उगता था, लेकिन अब कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में भी इसकी खेती की जा रही है। इस आम को जीआइ टैग भी प्राप्त है। गोविंदगढ़ का सुंदरजा आम हल्का सफेद रंग का होता है, जबकि कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में हल्का हरा होता है।
सुंदरजा आम की खासियतें
- गोविंदगढ़ की मिट्टी में उगने वाले पेड़ों का आम का स्वाद अद्वितीय है।
- इसकी खुशबू इतनी दमदार है कि आंख बंद करके भी इसे पहचाना जा सकता है।
- 1968 में सुंदरजा आम के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया था।
- दिल्ली, मुंबई, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित कई शहरों और राज्यों के लोग इसे एडवांस ऑर्डर देकर मंगवाते हैं।
- फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका, जर्मनी, कनाडा और अरब देशों में इसकी बहुत मांग है।
- सुंदरजा आम को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया गया है।
महाराजा गुलाब सिंह द्वारा लगवाया गया बगीचा
कुठुलिया फल एवं अनुसंधान केंद्र का आम का बगीचा रीवा राज्य के पूर्व महाराजा गुलाब सिंह जूदेव के समय में स्थापित किया गया था। यह रियासत काल में राजे-राजवाड़ों की पसंदीदा फल था। बाद में इसे कृषि विभाग को सौंप दिया गया।
बगीचे में देवी-देवताओं के नाम से विष्णु भोग, हनुमान भोग, कृष्ण भोग, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के नाम से आम के पेड़ लगाए गए हैं। कृषि वैज्ञानिक आरपी जोशी ने बताया कि 132 एकड़ में फैले इस फल अनुसंधान केंद्र में लगभग ढाई हजार आम के पेड़ हैं।
यहां सुंदरजा, मलिका, आम्रपाली, महमूद बहार, चौसा, स्वर्ण रेखा, प्रभा शंकर विष्णु भोग, कृष्ण भोग, गोपाल भोग, फजली, दशहरी और लंगड़ा आम के पेड़ मौजूद हैं।
आम की कीमत प्रति किलो में
- मध्य प्रदेश – 160 से 190
- महाराष्ट्र – 200 से 250
- दिल्ली – 160 से 220
बारिश के अंतराल का उत्पादन पर प्रभाव
बारिश में अंतराल होने के कारण इस वर्ष उत्पादन प्रभावित हुआ है। खराब मौसम भी इसका एक कारण है। उत्पादन भले ही कम हुआ है, लेकिन मांग में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है। – डॉ. टीके सिंह, विज्ञानी, कृषि महाविद्यालय, रीवा