ट्रंप द्वारा टैरिफ की घोषणा के बाद से शेयर बाजार में गिरावट का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। विशेषज्ञों के बीच ब्लैक मंडे का डर फैलने के साथ ही सोमवार की सुबह बाजार खुलते ही सेंसेक्स लगभग 3000 अंक नीचे चला गया। यह गिरावट करीब 4.70 प्रतिशत की रही, जबकि निफ्टी में लगभग 1000 अंक की कमी आई। इस स्थिति में महज 10 सेकंड में 19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
बीएसई सेंसेक्स 3379.19 अंक अर्थात 4.48 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 72623 पर पहुंच गया। वहीं, निफ्टी 50 में 1056.05 प्वाइंट्स यानी 4.61 प्रतिशत की कमी के बाद 21848.40 पर कारोबार हो रहा था। दूसरी ओर, एशियाई शेयर बाजारों में भी टैरिफ के कारण हलचल देखने को मिली। हांगकांग के बाजार में 10 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि चीन और जापान के बाजारों में 6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। अमेरिका में भी गिरावट का क्रम जारी है, जहां एसएंडपी और नैस्डैक के शेयरों में 3 प्रतिशत की कमी आई, जबकि डाओ फ्यूचर्स 900 प्वाइंट्स नीचे चला गया। जापान के निक्केई में बाजार के खुलते ही 225 प्वाइंट्स की गिरावट देखी गई।
ऑस्ट्रेलिया के एस एंड पी 200 में 6.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ यह 7184.70 पर रहा। दक्षिण कोरिया के कोस्पी में 5.5 प्रतिशत की कमी के साथ यह 2328.52 पर बंद हुआ। इससे पहले, अमेरिकी नैस्डैक ने शुक्रवार को लगभग 7 प्रतिशत की गिरावट के साथ अपना कारोबार समाप्त किया था। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति नहीं सुधरी तो अमेरिकी बाजार की हालत 1987 के समान हो सकती है।
अमेरिकी टीवी व्यक्तित्व और मार्केट विशेषज्ञ जिम क्रेमर ने शेयर बाजार को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सोमवार, 7 अप्रैल, 1987 की तरह शेयर बाजार के लिए यह दिन सबसे बुरा साबित हो सकता है। सीएनबीसी पर अपने शो Mad Money में क्रेमर ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन देशों से बातचीत नहीं की जिन्होंने जवाबी टैरिफ नहीं लगाए हैं, तो यह 1987 जैसा क्रैश हो सकता है।
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