आरएसएस के मध्य क्षेत्र संघचालक डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने मंगलवार को बताया कि मतांतरण के कारण कुछ क्षेत्रों में जनजातीय समाज अपनी पहचान खो रहा है। उन्होंने कहा कि सभी को मतांतरण का विरोध करना चाहिए। संघ इसके लिए समाज के बीच जाकर जागरूकता फैलाने में सहयोग देगा।
डॉ. सक्सेना ने यह बात राजधानी रायपुर में पत्रकारों के साथ चर्चा के दौरान कही। उन्होंने जोर दिया कि आदिवासियों की पारंपरिक पूजा-पाठ को बनाए रखना आवश्यक है और राजनीतिक दलों को भी मतांतरण तथा डी-लिस्टिंग के मुद्दे पर एकजुट होकर काम करना चाहिए।
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इस दौरान उन्होंने बताया कि आरएसएस ने मतांतरण को रोकने और इससे जुड़े लाभों को बंद करने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की है। डॉ. सक्सेना ने यह भी कहा कि कुछ विदेशी कंपनियां अभी भी मतांतरण के लिए फंड का दुरुपयोग कर रही हैं, जिसके खिलाफ हमें आवाज उठानी होगी।
केंद्र सरकार ने विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम में संशोधन किया है, जिसके तहत विदेश से फंड प्राप्त करने वाली कंपनियों को अपने खर्च का हिसाब देना आवश्यक है। इसके अलावा, उन्होंने आरएसएस की आगामी कार्ययोजना के बारे में भी जानकारी दी, जिसमें शताब्दी वर्ष मनाने की तैयारी के बारे में बताया गया।
डॉ. सक्सेना ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करने की जानकारी भी साझा की। उन्होंने बताया कि संघ इस वर्ष अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रहा है और इसके तहत छत्तीसगढ़ के हर गांव, बस्ती और घर तक पहुंच बनाने की योजना है।
उन्होंने कहा कि विजयदशमी 2025 से विजयदशमी 2026 तक संघ शताब्दी वर्ष के रूप में मनाएगा। इस अवसर पर व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाए जाने की योजना है।
संघ द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। छत्तीसगढ़ में 99 सेवा प्रकल्प, कन्या छात्रावास, आश्रय गृह और संस्कार केंद्र चलाए जा रहे हैं।
संघ शताब्दी वर्ष के प्रमुख कार्यक्रमों में मंडल, खंड और नगर स्तर पर कार्यक्रम, जनसंपर्क अभियान और सामाजिक सद्भाव बैठकें शामिल हैं। संघ का लक्ष्य है कि यह कार्यक्रम हर गांव और बस्ती तक पहुंचे।