[ad_1]
केंद्र सरकार ने 2014 में जैन धर्म के अनुयायियों को अल्पसंख्यक श्रेणी में शामिल किया है, इस कारण उनके विवाह संबंधी मामलों का निपटारा हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत नहीं किया जा सकता।

HighLights
- कुटुंब न्यायालय के निर्णय को रद्द किया गया।
- जैन समुदाय के वैवाहिक विवादों का मामला।
- हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत होंगे निपटारे।
जैन समुदाय के विवाह विवादों का समाधान अब हिंदू विवाह अधिनियम के तहत होगा। कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश ने यह मान लिया था कि जैन समाज के विवाह विवादों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत हल नहीं किया जा सकता, इसलिए उन्हें इस मामले में उच्च न्यायालय से मार्गदर्शन लेना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस संदर्भ में मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कुटुंब न्यायालय के निर्णय को निरस्त कर दिया। कुटुंब न्यायालय ने जैन दंपती के आपसी सहमति से तलाक के मामले को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि केंद्र सरकार ने 2014 में जैन धर्म के अनुयायियों को अल्पसंख्यक घोषित किया है, इसलिए उनके मामले हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत नहीं आ सकते।
Also Read: नक्सलियों की कायरता महुआ बीनते समय महिला प्रेशर आइईडी में आई, हुई मौत