### मध्यप्रदेश में नए वन्य जीव अभयारण्य की स्थापना: वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन को नई दिशा
मध्यप्रदेश ने वन्यजीवों के संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ओंकारेश्वर और जहानगढ़ में दो नए वन्य जीव अभयारण्य स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की 28वीं बैठक में लिया गया, जहां मुख्यमंत्री ने वन अधिकारियों को निर्देश दिया कि मगरमच्छों को जनसंख्या वाले क्षेत्रों से दूर रखने के लिए उन्हें खाली नदियों में पुनर्स्थापित किया जाए।
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मुख्यमंत्री का मानना है कि वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा देना जरूरी है। इससे मध्यप्रदेश में वन्यजीव पर्यटन को नई गति मिलेगी। उन्होंने यह भी साझा किया कि राज्य में बाघ, तेंदुआ, चीता, हाथी, घड़ियाल और गिद्धों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जो सरकार के संरक्षण प्रयासों की सफलता का एक स्पष्ट संकेत है।
**गिद्ध जनगणना: शुभ संकेत**
हाल ही में आयोजित गिद्ध जनगणना में मध्यप्रदेश में 12,981 गिद्धों की पहचान हुई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19% अधिक है। यह आंकड़ा निश्चित रूप से राज्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। मुख्यमंत्री ने उज्जैन जिले के नौलखी में प्रस्तावित वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर और जू की प्रगति की समीक्षा की और इसे वन्य जीव पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने के लिए निर्देश दिए।
**नए वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर की योजना**
जबलपुर जिले में एक नया वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव भी सामने आया है। मुख्यमंत्री ने असम के काजीरंगा नेशनल पार्क से गैंडों और दक्षिण अफ्रीका से जिराफ लाने की संभावनाओं पर चर्चा की। इसके साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि पर्यटन स्थलों और वन्य जीव अभयारण्यों के लिए आकर्षक वीडियो बनाए जाएं, ताकि इसे व्यापक स्तर पर प्रमोट किया जा सके।
**आदिवासी समुदाय और वन संरक्षण**
बैठक में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति विजय मनोहर तिवारी ने सुझाव दिया कि प्रदेश के जंगलों में स्थित जनजातीय और प्राचीन धार्मिक स्थलों का सर्वेक्षण और अभिलेखीकरण किया जाए। मुख्यमंत्री ने इस सुझाव पर सहमति जताते हुए कहा कि जनजातीय समुदाय वन संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए उनके धार्मिक स्थलों तक पहुँच में किसी प्रकार की रुकावट नहीं होनी चाहिए।
**वन्यजीव पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाना**
मुख्यमंत्री ने वन्यप्राणी बोर्ड के 33 में से 30 प्रस्तावों को मंजूरी दी। हाल ही में, राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में 10 घड़ियाल और कूनो नेशनल पार्क में 5 वयस्क चीते छोड़े गए थे। इसके अलावा, माधव नेशनल टाइगर रिजर्व (शिवपुरी) में एक बाघिन को उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया।
इस प्रकार, मध्यप्रदेश वन्यजीव पर्यटन को एक नई दिशा में ले जाने के लिए ठोस कदम उठा रहा है। यह न केवल जैव विविधता को बढ़ावा देगा, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बन जाएगा। वन्यजीवों के संरक्षण और पर्यटन को एक साथ जोड़कर, राज्य अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने के साथ-साथ एक स्थायी भविष्य की ओर भी अग्रसर है।