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त्वचा की देखभाल के टिप्स: fairness उपचार के दुष्प्रभाव

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फेयरनेस ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट्स : कौन नहीं चाहता कि वो गोरा हो? चाहे लड़का हो या लड़की, हर किसी की ख्वाहिश होती है कि वो आकर्षक लगे और उसकी त्वचा फेयर दिखे। कई जगहों पर गोरेपन को सुंदरता का मापदंड माना जाता है। इसी वजह से विभिन्न प्रकार की क्रीम और ट्रीटमेंट बाजार में उपलब्ध हैं, जो तुरंत गोरा बनाने का वादा करती हैं। बहुत से लोग अपनी त्वचा को हल्का करने के लिए फेयरनेस ट्रीटमेंट (Fairness Treatment) का सहारा लेते हैं।

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फेयरनेस क्रीम, स्किन लाइटनिंग ट्रीटमेंट, केमिकल पील और लेजर थेरेपी तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये ट्रीटमेंट आपकी त्वचा और स्वास्थ्य पर कितने नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं? चलिए जानते हैं कि फेयरनेस ट्रीटमेंट कितने हानिकारक हो सकते हैं…

फेयरनेस ट्रीटमेंट क्या है

फेयरनेस ट्रीटमेंट का उद्देश्य त्वचा के रंग को हल्का करना और पिगमेंटेशन को कम करना होता है। इससे काली त्वचा गोरी नजर आने लगती है। इन ट्रीटमेंट्स का दावा होता है कि ये त्वचा को निखारने और गोरा बनाने में सक्षम हैं। फेयरनेस ट्रीटमेंट की कई प्रक्रियाएं होती हैं।

फेयरनेस ट्रीटमेंट की प्रक्रियाएं

केमिकल पील – इसमें त्वचा की ऊपरी परत को हटाने के लिए एसिड का उपयोग किया जाता है।

लेजर ट्रीटमेंट – त्वचा की मेलेनिन परत को हटाने के लिए लेजर तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

ब्लिचिंग एजेंट – हाइड्रोक्विनोन और स्टेरॉयड युक्त क्रीम्स का उपयोग त्वचा के रंग को हल्का करने के लिए किया जाता है।

माइक्रोडर्माब्रेशन – यह प्रक्रिया त्वचा को एक्सफोलिएट करके नई परत को बाहर लाती है।

फेयरनेस ट्रीटमेंट के संभावित खतरे

1. त्वचा की प्राकृतिक परत को नुकसान

फेयरनेस ट्रीटमेंट में उपयोग किए जाने वाले रसायन और एसिड त्वचा की प्राकृतिक नमी और सुरक्षा परत को कमजोर कर सकते हैं। इससे त्वचा अधिक संवेदनशील हो जाती है और धूप में जल्दी जलने लगती है।

2. कैंसर का खतरा

कुछ फेयरनेस क्रीम्स में हाइड्रोक्विनोन, मर्करी और स्टेरॉयड होते हैं, जो लंबे समय तक उपयोग करने पर त्वचा कैंसर (Skin Cancer) का खतरा बढ़ा सकते हैं। WHO ने भी चेतावनी दी है कि ऐसे रसायनों का लगातार उपयोग खतरनाक हो सकता है।

3. हार्मोनल असंतुलन

स्टेरॉयड युक्त क्रीम्स का लंबे समय तक उपयोग शरीर में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मुंहासे (Acne), अनचाहे बाल और तेजी से वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

4. हाइपरपिगमेंटेशन

फेयरनेस ट्रीटमेंट से त्वचा का प्राकृतिक रंग बदल सकता है, लेकिन इसका एक साइड इफेक्ट यह भी हो सकता है कि कुछ हिस्सों में हाइपरपिगमेंटेशन (त्वचा का गहरा रंग) हो जाए, जिससे त्वचा असामान्य दिखने लगती है।

5. त्वचा संक्रमण का खतरा

कुछ ट्रीटमेंट्स जैसे कि केमिकल पील और लेजर थेरेपी के बाद त्वचा बहुत संवेदनशील हो जाती है, जिससे बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

6. झुर्रियां और बुढ़ापे के लक्षण जल्दी आना

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कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb