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Jefferies रिपोर्ट इन भारतीय कंपनियों पर होगा डोनाल्ड ट्रम्प के प्रतिकारी शुल्क का असर लाभ में कमी आएगी

डोनाल्ड ट्रंप का प्रतिकारी टैरिफ: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित दवाओं पर टैरिफ लगाने … Jefferies रिपोर्ट इन भारतीय कंपनियों पर होगा डोनाल्ड ट्रम्प के प्रतिकारी शुल्क का असर लाभ में कमी आएगीRead more

डोनाल्ड ट्रंप का प्रतिकारी टैरिफ: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित दवाओं पर टैरिफ लगाने का सुझाव दिया है, जिसके कारण भारतीय फार्मा सेक्टर में हलचल मच गई है। भारत अमेरिका में जेनरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है और इस निर्णय से कई कंपनियों के लाभ पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

पूरा मामला क्या है?

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वास्तव में, अमेरिका वर्तमान में भारतीय दवाओं पर शून्य टैरिफ लागू करता है, जबकि भारत अमेरिकी दवाओं पर लगभग 5 से 10 प्रतिशत शुल्क लेता है। ट्रंप का इरादा है कि अमेरिका भी भारत जितना टैरिफ लगाए। इसका मतलब यह है कि अमेरिका 2 अप्रैल से भारतीय दवा कंपनियों के उत्पादों पर 10 प्रतिशत तक टैरिफ लगा सकता है। हालांकि, यह टैरिफ मुख्य रूप से आयरलैंड और चीन पर केंद्रित है, लेकिन भारतीय कंपनियों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।

कौन सी कंपनियों को सबसे अधिक खतरा है?

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के अनुसार, जेनरिक दवाएं बनाने वाली कंपनियां और कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स सबसे अधिक जोखिम में हैं। इनमें जायडस लाइफसाइंसेज शामिल है, जिसकी कुल बिक्री का 45 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका से आता है, और यह सबसे अधिक खतरे में है। अमेरिका में इसके ओरल दवाओं का मार्केट शेयर बहुत बड़ा है। इसके अतिरिक्त, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, ग्लैंड फार्मा और बायोकॉन भी इसी श्रेणी में आते हैं जिनकी बिक्री का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से है। इस प्रकार, प्रतिकारी टैरिफ का इन फार्मा कंपनियों के लाभ पर सीधा असर होगा।

इसके साथ ही, ल्यूपिन, सन फार्मा और सिप्ला जैसी कंपनियों पर भी इसका असर होगा, लेकिन पहले बताई गई कंपनियों की तुलना में यह कम होगा।

क्या भारतीय कंपनियां टैरिफ सहन कर पाएंगी?

द मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि टैरिफ लागू होता है, तो कंपनियां अमेरिकी डिस्ट्रीब्यूटर्स या इंश्योरेंस कंपनियों पर अपने खर्च को डालने की कोशिश करेंगी। लेकिन जेनरिक मार्केट में मूल्य निर्धारण पर दबाव अधिक है, जिससे लाभ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करना 5 से 6 साल का समय ले सकता है, जिसमें काफी खर्च आता है।

आगे क्या होगा?

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज का मानना है कि यदि टैरिफ लागू होता है, तो वह 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। इसके अलावा, ट्रंप का ध्यान आयरलैंड और चीन पर है, इसलिए संभव है कि जेनरिक सेक्टर को कुछ छूट मिल जाए। अमेरिका में 90 प्रतिशत प्रिस्क्रिप्शन जेनरिक दवाओं के होते हैं, इसीलिए टैरिफ के कारण दवाओं की कीमतें बढ़ने पर आम अमेरिकी नागरिक प्रभावित होंगे।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि मार्केट में निवेश हमेशा जोखिमों के अधीन होता है। निवेशक को पैसा लगाने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। ABPLive.com की ओर से किसी को भी निवेश करने की सलाह नहीं दी जाती है।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb