प्रेमानंद जी महाराज के विचार: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और दार्शनिक हैं जो जीवन के वास्तविक अर्थ को समझाते हैं। उनके अनमोल विचार हमें जीवन को बेहतर बनाने और संतुलन बनाए रखने में मार्गदर्शन करते हैं।
जब प्रेमानंद जी महाराज के भक्त ने यह सवाल पूछा कि क्या भगवान जिस पर कृपा करते हैं, उससे सब कुछ छीन लेते हैं?, तो संत महाराज जी ने कहा कि भगवान छीनते नहीं हैं, बल्कि देते हैं। वे मोह को दूर कर ज्ञान प्रदान करते हैं। भगवान दाता हैं, जो नाशवान वस्तुओं से राग हटाकर सत्य का अनुभव कराते हैं। प्रेमानंद जी महाराज ने कहा, सिय राम मय सब जग जानी, करहु प्रणाम जोरी जुग पानी ॥ यानी कि संपूर्ण सृष्टि में श्री राम का वास है, सभी में भगवान है और हमें उन्हें प्रणाम करना चाहिए।
जो व्यक्ति भगवान की निंदा करता है, उसे भी भगवान जीवन देते हैं और कहते हैं कि इस जीवन को खुलकर जीना चाहिए। ऐसे में, जो भगवान की भक्ति करता है, उसके जीवन में संकट कैसे आ सकता है? भगवान की बातों को समझना हमारा कर्तव्य है।
यदि हम काम और क्रोध के बंधनों में फंसे हैं, तो भगवान हमें उन बंधनों से मुक्त करते हैं। माया में फंसे लोगों को वह माया से दूर कर देते हैं। यह भगवान की महान कृपा है कि वह हमारे दुखों को दूर करते हैं। भगवान सुख प्रदान करते हैं और दुखों को समाप्त करते हैं। धन से किसी को सच्चा सुख नहीं मिलता, परंतु नाम रूपी धन में तृप्ति देते हैं और सांसारिक धन से वैराग्य की भावना उत्पन्न करते हैं।
जो व्यक्ति भगवान से प्रेम करता है, उसे सारा संसार प्रेम करने लगता है। जो भगवान से प्रेम करता है, उसके लिए माया माँ की तरह दुलार करती है। ‘जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करे सब कोई’ यह चौपाई रामायण के अरण्यकांड में है, जिसका अर्थ है कि जिस पर परमात्मा की कृपा होती है, उस पर चारों ओर से कृपा बरसती है।
इसीलिए, भगवान से प्रेम करने पर हमें छीना नहीं जाता। जो कुछ भी है, वह भगवान के कारण है। भगवान अज्ञान को दूर करते हैं, माया को समाप्त करते हैं और सुख, शांति प्रदान करते हैं।
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