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लक्जरी आवास की उच्च मांग तेज गति में है क्योंकि 3 वर्षों में 49 घर 7500 करोड़ रुपये में बेचे गए

Housing Sector: कोरोना महामारी के बाद और अर्थव्यवस्था के तेज विकास के चलते भारत का अल्ट्रा-लग्जरी होम मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. इस वृद्धि का परिणाम यह है कि पिछले तीन वर्षों में 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की कीमत वाले 49 घरों की कुल बिक्री 7500 करोड़ रुपये में हुई है. इसका []

Published: Sunday, 30 March 2025 at 02:09 pm | Modified: Sunday, 30 March 2025 at 02:09 pm | By: Kapil Sharma | 📂 Category: कारोबार

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लक्जरी आवास की उच्च मांग तेज गति में है क्योंकि 3 वर्षों में 49 घर 7500 करोड़ रुपये में बेचे गए

Housing Sector: कोरोना महामारी के बाद और अर्थव्यवस्था के तेज विकास के चलते भारत का अल्ट्रा-लग्जरी होम मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. इस वृद्धि का परिणाम यह है कि पिछले तीन वर्षों में 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की कीमत वाले 49 घरों की कुल बिक्री 7500 करोड़ रुपये में हुई है. इसका मतलब है कि औसतन 153 करोड़ रुपये कीमत वाले 49 घरों का सौदा हुआ है.

जेएलएल की रिपोर्ट के अनुसार, इस वृद्धि की गति में कमी आने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं. 2025 के पहले दो महीनों में ही चार अल्ट्रा-लग्जरी घरों की बिक्री हो चुकी है, जिनकी कुल कीमत 850 करोड़ रुपये है. भारत के तेज़ी से बढ़ते लग्जरी रियल एस्टेट मार्केट का यह एक प्रमाण है कि अल्ट्रा-लग्जरी आवासीय बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि आई है. अब बंगलों की तुलना में अपार्टमेंट इस सेगमेंट पर अधिक हावी हो गए हैं.

जेएलएल के मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान प्रमुख डॉ. सामंतक दास ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक के सौदों में 65 प्रतिशत हिस्सेदारी अपार्टमेंट की थी जबकि बंगलों की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत रही. उन्होंने यह भी कहा कि इस मूल्य सीमा से ऊपर भी कुछ संपत्तियों का लेन-देन हुआ है, जिनकी कीमत 200 से 500 करोड़ रुपये के बीच थी.

हालांकि कई भारतीय शहरों में प्रीमियम आवासीय संपत्तियों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन उपयुक्त खरीदारों की बात करें तो मुंबई और दिल्ली-एनसीआर सबसे आगे हैं. जेएलएल के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक शिव कृष्णन ने कहा कि 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक मूल्य वर्ग के खरीदारों में बड़े व्यापारिक समूह, अभिनेता और नए स्टार्टअप के संस्थापक शामिल हैं.

पिछले तीन वर्षों में बेचे गए 49 घरों में से 69 प्रतिशत हिस्सा मुंबई का था, उसके बाद दिल्ली एनसीआर का स्थान है. मुंबई में, मालाबार हिल और वर्ली में इन लेन-देन का बड़ा हिस्सा देखने को मिला. दिल्ली-एनसीआर में ये सौदे केवल लुटियंस बंगला जोन तक ही सीमित नहीं थे. कृष्णन ने कहा कि गुरुग्राम में गोल्फ कोर्स रोड पर कई ऊँची इमारतों के अपार्टमेंट सौदों की भी रिपोर्ट की गई. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पिछले तीन वर्षों में 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक मूल्य वर्ग में बेचे गए अधिकांश अपार्टमेंट का आकार 10,000 से 16,000 वर्ग फुट (सुपर बिल्ट-अप एरिया) के बीच था.

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