नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ EY ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सकारात्मक समाचार साझा किया है। उनकी हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। हालांकि, यह तभी संभव होगा जब सरकार वित्तीय निर्णयों में सही कदम उठाए। रिपोर्ट में बताया गया है []
Published: Monday, 31 March 2025 at 04:56 am | Modified: Monday, 31 March 2025 at 04:56 am | By: Kapil Sharma | 📂 Category: कारोबार
नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ EY ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सकारात्मक समाचार साझा किया है। उनकी हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। हालांकि, यह तभी संभव होगा जब सरकार वित्तीय निर्णयों में सही कदम उठाए।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में देश की अर्थव्यवस्था ने 6.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी थी। यह आंकड़ा राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किए गए संशोधित अनुमानों से थोड़ा कम है, जिसमें 2024-25 के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का पूर्वानुमान था। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए निजी खपत और सरकारी निवेश दोनों को बढ़ावा देने की आवश्यकता होगी।
EY की रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों की ओर भी संकेत किया गया है। हाल के समय में निजी क्षेत्र के निवेश में कमी आई है, जिसके कारण वित्त मंत्रालय ने उद्योग से निवेश बढ़ाने की अपील की है। इसके साथ ही, सरकार को स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में खर्च बढ़ाने की जरूरत है। रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा पर खर्च को वर्तमान 4.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 2048 तक जीडीपी का 6.5 प्रतिशत करना होगा, जबकि स्वास्थ्य खर्च को 3.8 प्रतिशत तक पहुंचाना होगा।
EY इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने मीडिया में बताया कि भारत की युवा जनसंख्या देश के लिए एक बड़ा अवसर है। उनके अनुसार, कामकाजी उम्र की बढ़ती जनसंख्या विकास, रोजगार, बचत और निवेश के लिए सकारात्मक चक्र शुरू कर सकती है। लेकिन इसके लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होगी।
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजस्व बढ़ाना और राजकोषीय अनुशासन बनाए रखना होगा। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि धीरे-धीरे राजस्व-से-जीडीपी अनुपात को 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 29 प्रतिशत करने से सरकार को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में जारी की गई यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के पास मजबूत विकास की संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए सही नीतियों और सतर्क प्रबंधन की जरूरत होगी। अब यह देखना होगा कि सरकार और उद्योग इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और क्या वे इस वर्ष 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त कर पाते हैं।