बॉलीवुड की अभिनेत्री प्रीति जिंटा को कौन नहीं जानता। एक समय था जब उनका नाम बॉलीवुड में लोकप्रियता के साथ जुड़ा था। माना जाता था कि यदि प्रीति किसी फिल्म में हैं, तो वह फिल्म सफल होनी लगभग तय है। लेकिन अब उनका नाम न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के 122 करोड़ के घोटाले में चर्चा []
Published: Saturday, 29 March 2025 at 11:01 pm | Modified: Saturday, 29 March 2025 at 11:01 pm | By: Kapil Sharma | 📂 Category: कारोबार
बॉलीवुड की अभिनेत्री प्रीति जिंटा को कौन नहीं जानता। एक समय था जब उनका नाम बॉलीवुड में लोकप्रियता के साथ जुड़ा था। माना जाता था कि यदि प्रीति किसी फिल्म में हैं, तो वह फिल्म सफल होनी लगभग तय है। लेकिन अब उनका नाम न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के 122 करोड़ के घोटाले में चर्चा का विषय बन रहा है। मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंसेस विंग के अनुसार, जिंटा को बैंक द्वारा दिए गए 18 करोड़ के लोन सेटलमेंट में 1.55 करोड़ की छूट दी गई थी। यह लोन अब बैंक के लिए नॉन-परफॉर्मिंग एसेट बन चुका है।
पूरा मामला समझें। 7 जनवरी 2011 को प्रीति जिंटा को 18 करोड़ का लोन मिला था। इसके बदले में उन्होंने मुंबई में एक आवासीय फ्लैट और शिमला में एक संपत्ति गिरवी रखी थी, जिनकी कुल कीमत 27.41 करोड़ थी। नवंबर 2012 तक उन्हें 11.40 करोड़ का भुगतान करना था, लेकिन भुगतान में देरी के कारण 31 मार्च 2013 को यह लोन NPA घोषित कर दिया गया। उस समय बकाया राशि 11.47 करोड़ थी। बाद में, अप्रैल 2014 में बैंक ने 1.55 करोड़ की छूट देकर बाकी पैसे चुकाने का प्रस्ताव दिया। प्रीति ने बाकी राशि चुका दी और खाता क्लियर कर दिया। लेकिन अब यह रियायत बैंक में हुई संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों की जांच का हिस्सा बन गई है।
EOW इस बैंक में 2010 से 2014 के बीच स्वीकृत किए गए कई लोन खातों की जांच कर रही है। अब तक इस मामले में आठ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर हितेश मेहता भी शामिल हैं। मेहता पर 122 करोड़ हड़पने का आरोप है और उनका पॉलीग्राफ टेस्ट भी हो चुका है। अब उनके ब्रेन मैपिंग टेस्ट की योजना है ताकि पैसे के ट्रैक और अन्य शामिल व्यक्तियों का पता लगाया जा सके। इसके अलावा, बैंक के पूर्व चेयरमैन हीरेन भानू और उनकी पत्नी गौरी भानू को भी इस मामले में वांटेड घोषित किया गया है।
इस घोटाले के परिणामस्वरूप न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की कार्यप्रणाली पर असर पड़ा है और डिपॉजिटर्स अपने पैसे की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। बैंक के डिपॉजिटर्स के हितों की रक्षा के लिए एक संगठन ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि बैंक के संचालन फिर से शुरू हो सकें।
अभी तक प्रीति जिंटा ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, उन्होंने बैंक को सभी पैसे चुका दिए थे और लोन सेटलमेंट बैंक की मंजूरी से हुआ था। लेकिन, यह मामला और भी गहरा हो सकता है क्योंकि EOW की जांच जारी है।