स्टीवंस-जानसन सिंड्रोम एक दुर्लभ और गंभीर त्वचा संबंधी समस्या है जो दवाओं के दुष्प्रभावों के कारण उत्पन्न होती है। यह बीमारी मिर्गी, एचआईवी और दर्द निवारक दवाओं के साइड इफेक्ट के परिणामस्वरूप होती है। यदि इसका समय रहते पता नहीं लगाया गया तो मरीज की स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है और कई मामलों में []
Published: Monday, 31 March 2025 at 02:18 pm | Modified: Monday, 31 March 2025 at 02:18 pm | By: Kapil Sharma | 📂 Category: शहर और राज्य
स्टीवंस-जानसन सिंड्रोम एक दुर्लभ और गंभीर त्वचा संबंधी समस्या है जो दवाओं के दुष्प्रभावों के कारण उत्पन्न होती है। यह बीमारी मिर्गी, एचआईवी और दर्द निवारक दवाओं के साइड इफेक्ट के परिणामस्वरूप होती है। यदि इसका समय रहते पता नहीं लगाया गया तो मरीज की स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है और कई मामलों में यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
इंदौर के एमवाय अस्पताल के चर्म रोग विभाग में इस सिंड्रोम से प्रभावित मरीज इलाज के लिए आते हैं। यहां उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। एमवायएच में 10 वर्ष से लेकर युवा उम्र तक के मरीज आते हैं। एक साल में लगभग 10 मरीज इस बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होते हैं, जिनमें अधिकांश छोटे जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों से होते हैं।
निजी अस्पतालों में गंभीर स्थिति में पहुंचने वाले मरीजों का इलाज महंगा पड़ता है, जो आठ से 10 लाख रुपये तक पहुंच सकता है। लेकिन एमवायएच में यह सेवा निःशुल्क उपलब्ध है। हाल ही में 22 वर्षीय रितिका जो शुजालपुर की रहने वाली थीं, इस बीमारी के कारण निधन हो गया। उनके परिवार ने शुरुआत में इसे सामान्य त्वचा समस्या समझा और स्थानीय स्तर पर इलाज कराया, लेकिन एक महीने तक इंदौर के एक निजी अस्पताल में भी उपचार चलने पर कोई सुधार नहीं हुआ।
एक 11 वर्षीय लड़की को दर्द निवारक दवा के साइड इफेक्ट से स्टीवंस-जानसन सिंड्रोम हो गया। उसके शरीर पर चकत्ते और फफोले दिखाई देने लगे। पहले माता-पिता ने झाबुआ जिले में उसका इलाज कराया, लेकिन जब आराम नहीं मिला तो उन्होंने एमवायएच में इलाज कराया। यहां विशेषज्ञों ने बीमारी की पहचान की और इलाज शुरू किया, अब वह स्वस्थ है।
एक 25 वर्षीय युवक धार से मिर्गी की दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण इस बीमारी से ग्रसित हुए थे। उनके शरीर पर घाव होने लगे और चमड़ी निकलने लगी। आसपास के डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को नहीं समझा। एमवायएच में भर्ती होने के बाद उनका सफल इलाज हुआ और अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
सीहोर के एक 38 वर्षीय युवक को भी इसी प्रकार की समस्या हुई थी। उसके मुंह, हाथ और छाती सहित शरीर के अन्य हिस्सों में लालपन आ गया था। मरीज की स्थिति इतनी गंभीर थी कि वह चल नहीं पा रहा था। उपचार के बाद उसे आराम मिला और उसे मिर्गी की दवा के साइड इफेक्ट से यह सिंड्रोम हुआ था।
स्टीवंस-जानसन सिंड्रोम के प्रारंभिक लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, जिसमें बुखार, गले में खराश, खांसी और जोड़ों में दर्द शामिल होते हैं। कुछ दिनों बाद, शरीर पर दर्दनाक लाल चकत्ते और फफोले उभरने लगते हैं। जब रोग बढ़ता है तो त्वचा का छिलना, होंठ, गले और चेहरे पर सूजन जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
यदि किसी को त्वचा संबंधी समस्याएं होती हैं, तो तुरंत विशेषज्ञों से संपर्क करना चाहिए। स्टीवंस-जानसन सिंड्रोम एक गंभीर त्वचा की बीमारी है जो आमतौर पर दवाओं के रिएक्शन के कारण होती है। यदि किसी भी दर्द या अन्य दवा के सेवन के बाद त्वचा में समस्या उत्पन्न होती है, तो हमें विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। प्रारंभिक स्तर पर सही उपचार से मरीज स्वस्थ हो सकते हैं।
स्टीवंस-जानसन सिंड्रोम दवाओं के रिएक्शन से होता है और इसका शिकार आमतौर पर युवा वर्ग होता है। लक्षणों की पहचान और लैब जांच के माध्यम से इसकी पहचान की जाती है। समय पर पहचान करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि देरी के कारण मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं।