US Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल से सभी देशों पर टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं। इसका प्रभाव अरबों डॉलर के वैश्विक व्यापार पर पड़ेगा, और इससे भारतीय निर्यात को भी बड़ा झटका लग सकता है। ट्रंप के इस रेसिप्रोकल टैरिफ का मुख्य लक्ष्य भारत है, जिसे उन्होंने ‘टैरिफ किंग’ के रूप []
Published: Sunday, 30 March 2025 at 06:04 pm | Modified: Sunday, 30 March 2025 at 06:04 pm | By: Kapil Sharma | 📂 Category: कारोबार
US Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल से सभी देशों पर टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं। इसका प्रभाव अरबों डॉलर के वैश्विक व्यापार पर पड़ेगा, और इससे भारतीय निर्यात को भी बड़ा झटका लग सकता है। ट्रंप के इस रेसिप्रोकल टैरिफ का मुख्य लक्ष्य भारत है, जिसे उन्होंने ‘टैरिफ किंग’ के रूप में संबोधित किया है। आशंका है कि ट्रंप के द्वारा लगाए गए टैरिफ के चलते भारत को 31 बिलियन डॉलर तक के संभावित निर्यात घाटे का सामना करना पड़ सकता है।
इन सेक्टरों पर भी पड़ेगा अमेरिकी टैरिफ का असर: ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का असर कई सेक्टरों पर हो सकता है, जैसे कारें और जेनेरिक दवाएं। हाल ही में, ट्रंप ने इम्पोर्ट की जाने वाली कारों और ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है। अब फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, जेम्स और ज्वेलरी जैसे सेक्टर भी इससे प्रभावित होंगे।
वित्त वर्ष 2024 में अमेरिका से भारत का कुल एक्सपोर्ट 77.5 बिलियन डॉलर रहा, जबकि भारत से अमेरिका का एक्सपोर्ट 40.7 बिलियन डॉलर रहा। अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है। इस कारण वर्ष 2000 से अब तक FDI 67.76 बिलियन डॉलर रहा है, इसलिए ट्रंप के टैरिफ का भारत पर असर पड़ने की संभावना अधिक है।
फार्मा सेक्टर पर असर सबसे ज्यादा: भारत के फार्मा सेक्टर पर टैरिफ का प्रभाव सबसे अधिक होने की संभावना है। वर्तमान में, अमेरिका फार्मा के इम्पोर्ट पर न्यूनतम टैरिफ लागू करता है। भारत अमेरिकी फार्मा उत्पादों पर 10 प्रतिशत की दर से टैरिफ लगाता है। ऐसे में यह सेक्टर भी सीधे रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे में आ जाएगा।
इंडस्ट्री के विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि डिस्ट्रीब्यूटर्स और मैन्युफैक्चरर्स के लिए अतिरिक्त लागत का बोझ उठाना मुश्किल हो जाएगा। चूंकि भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है, इसलिए किसी भी गिरावट की संभावना धीरे-धीरे होने की है।
कई अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि कई भारतीय फार्मा कंपनियां पहले से ही अमेरिका में कम लाभ मार्जिन पर काम कर रही हैं, इसलिए अधिक टैरिफ लगाने से पहले उन्हें अपनी उत्पाद रणनीति पर विचार करने की आवश्यकता है।
इन कंपनियों के स्टॉक पर रखें नजर: ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के दौरान सन फार्मा, सिप्ला, ल्यूपिन, डॉ. रेड्डीज और डिवीज लैब्स के स्टॉक पर ध्यान देना जरूरी है। इसके साथ ही, डिक्सन टेक्नोलॉजीज और केनेस टेक जैसी टेक कंपनियों के स्टॉक के साथ-साथ गोल्ड और ज्वेलरी सेगमेंट में मालाबार गोल्ड, रेनेसां ज्वेलरी, राजेश एक्सपोर्ट्स और कल्याण ज्वैलर्स पर भी नजर रखी जानी चाहिए, जिनका दायरा अमेरिकी बाजार पर पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त, अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ने और क्लाइंट के कम खर्चने के कारण इन्फोसिस और टीसीएस जैसी फर्मों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।