## हरियाणा नगर निगम चुनाव 2023: भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार के पीछे की वजहें
हरियाणा में 8 नगर निगमों के चुनाव परिणामों की घोषणा शुरू हो गई है, और इसके साथ ही दो उपचुनावों के नतीजे भी सामने आए हैं। भाजपा ने अंबाला, करनाल, फरीदाबाद और सोनीपत में जीत हासिल की है, जबकि पार्टी के उम्मीदवार अन्य 5 निगमों में भी आगे चल रहे हैं। खास बात यह है कि भाजपा ने सोनीपत और अंबाला में मेयर की कुर्सी भी अपने नाम की है, जबकि पिछली बार यहां कांग्रेस और हरियाणा जनचेतना पार्टी का मेयर था। विधानसभा चुनाव के 5 महीने बाद हुए इन नगर निगम चुनावों में भाजपा का “ट्रिपल इंजन सरकार” का नारा सफल साबित हुआ है। अब केंद्र, राज्य, और स्थानीय स्तर पर भाजपा की सरकार बन गई है।
### मानेसर में निर्दलीय उम्मीदवार की जीत
मानेसर में निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत यादव ने चुनाव जीतकर एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया है। वहीं, कांग्रेस का स्थिति इस चुनाव में बेहद खराब रही है। पार्टी न केवल हर जगह हार गई, बल्कि सोनीपत की मेयर सीट भी गंवा दी है, जो पिछली बार उसने जीती थी। भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं।
### भाजपा की जीत के 4 मुख्य कारण
1. **स्थानीय सरकार का लाभ**
भाजपा ने प्रदेश में हाल ही में बनी सरकार के लाभ का पूरा उपयोग किया। पार्टी के नेताओं, मंत्रियों और मुख्यमंत्री नायब सैनी ने “ट्रिपल इंजन” के नारे के साथ प्रचार किया, जिससे विकास के प्रति जनता का विश्वास बढ़ा।
2. **बूथ स्तर पर प्रबंधन**
भाजपा ने चुनाव को गंभीरता से लिया और बूथ स्तर पर प्रबंधन को मजबूत किया। संगठन की टीम ने हर घर में 3 से 4 बार संपर्क किया, जिससे लोगों के बीच पार्टी की पैठ बढ़ी।
3. **बड़े नेताओं का सक्रिय भागीदारी**
भाजपा ने चुनाव प्रचार में सभी बड़े चेहरों को शामिल किया। मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ सभी विधायकों और मंत्रियों ने प्रचार में भाग लिया, जिससे लोगों को पार्टी की गंभीरता का एहसास हुआ।
4. **बागियों से दूरी**
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में बगावत करने वालों को वापस नहीं लिया, जिससे पार्टी के भीतर कोई बगावत नहीं हुई और संगठन मजबूत बना रहा।
### कांग्रेस की हार के 4 मुख्य कारण
1. **संगठन की कमी**
कांग्रेस को पिछले 11 वर्षों से किसी संगठन की कमी का सामना करना पड़ा, जिससे कार्यकर्ताओं का एकजुट होना मुश्किल हो गया।
2. **गुटबाजी और नेतृत्व में बदलाव**
निकाय चुनाव की घोषणा के समय सीनियर नेताओं को एकजुट करने की आवश्यकता थी, लेकिन प्रभारी दीपक बाबरिया को हटाने से गुटबाजी बढ़ गई।
3. **चुनाव प्रचार में लापरवाही**
कांग्रेस ने चुनाव प्रचार में गंभीरता नहीं दिखाई। अधिकांश बड़े नेता प्रचार में शामिल नहीं हुए, जिससे जनता को लगा कि पार्टी चुनाव को लेकर गंभीर नहीं है।
4. **नेताओं का पार्टी छोड़ना**
कई बड़े नेता चुनाव के दौरान पार्टी छोड़ते रहे, और कांग्रेस ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की, जिससे कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ा।
इन सभी कारणों से कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हुई, जो चुनाव परिणामों पर साफ-साफ दिखी। हरियाणा के नगर निगम चुनाव ने दिखा दिया है कि भाजपा का प्रभाव अब और भी मजबूत हो गया है, जबकि कांग्रेस को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।