मध्य प्रदेश सरकार 12 साल बाद मई में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के चुनाव कराने के लिए तैयार है। ये चुनाव सितंबर तक पूरे किए जाएंगे। चुनाव न होने के कारण कई समितियां आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं। इससे उबरने के लिए सरकार कई योजनाएं लागू करने जा रही है।
HighLights
- 12 साल बाद मई में पैक्स के चुनाव होंगे
- 2013 के बाद से पैक्स चुनाव नहीं हुए थे
- वर्तमान में 50% पैक्स घाटे में चल रही हैं
राज्य ब्यूरो, Newsstate24, भोपाल। राज्य सरकार 12 साल के अंतराल के बाद मई में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के चुनाव कराने जा रही है। चुनाव की प्रक्रिया को लेकर कार्यक्रम भी निर्धारित किया गया है। ये चुनाव सितंबर तक पूरे कर लिए जाएंगे। इस संबंध में सभी जिला प्रशासन और सहकारिता विभाग के अधिकारियों को सूचना दी जा रही है।
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के चुनाव 2013 के बाद से नहीं हुए हैं। इसके बाद 2018 में चुनाव होने थे, लेकिन विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव और फिर उपचुनाव के कारण इसे टाल दिया गया। समिति में अध्यक्ष और सदस्यों का चुनाव किसानों द्वारा किया जाता है।
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गौरतलब है कि पैक्स और अपेक्स के चुनाव को लेकर विधानसभा के बजट सत्र में विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाया था, जिसके बाद सरकार ने चुनाव कराने का निर्णय लिया है।
जल्द होंगे प्रदेश में पैक्स और अपैक्स के चुनाव
सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने विधानसभा में कहा था कि जल्द ही प्रदेश में पैक्स और अपैक्स के चुनाव कराए जाएंगे। पैक्स के चुनाव के लिए मतदाता सूची बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। 14 मई को सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। सितंबर तक समितियों और बैंकों में संचालक मंडल का गठन कर लिया जाएगा।
प्रशासकों के भरोसे समितियां
वर्तमान में ये समितियां प्रशासकों के अधीन चल रही हैं। प्रदेश के 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में से केवल एक बैंक पन्ना में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर कोर्ट कमिश्नर के साथ कार्य कर रहा है। बाकी 37 बैंकों में प्रशासक नियुक्त हैं। यह स्थिति चुनाव न होने के कारण उत्पन्न हुई है।
घाटे में चल रहीं प्रदेश की 50 प्रतिशत सहकारी समितियां
- मध्य प्रदेश में 4,539 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में से 50 प्रतिशत घाटे में हैं। वर्ष 2022-23 में 2886 समितियां और वर्ष 2023-24 में 1890 समितियां घाटे में रहीं। इन समितियों के चुनाव वर्षों से नहीं हुए हैं, जिसके चलते अब इनमें से आधी से अधिक समितियों को घाटा झेलना पड़ा है।
- सहकारी समितियों को घाटे से उबारने के लिए दूध, पेट्रोल पंप, मत्स्य पालन, एलपीजी वितरण केंद्र से जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के प्रयास किए जाएंगे। 5,296 सहकारी केंद्रों के माध्यम से किसानों को खाद की आपूर्ति की जा रही है। सहकारी बैंकों को पुनर्जीवित करने के लिए वित्तीय सहायता भी की जाएगी। हालांकि, वर्तमान में नौ सहकारी बैंक नुकसान में हैं। सरकार का दावा है कि इनमें से चार बैंकों को लाभ की स्थिति में लाया जाएगा।