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टीडीएस रिटर्न: 12 वित्तीय वर्षों के टीडीएस रिटर्न में सुधार का अब या कभी नहीं का अवसर

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12 वित्त वर्षों के टीडीएस रिटर्न में सुधार का अंतिम अवसर जल्दी ही समाप्त होने वाला है। 2007-2008 से 2018-2019 तक के रिटर्न में 31 मार्च 2025 के बाद कोई भी सुधार नहीं किया जा सकेगा। यह अवसर पेंशनर और ब्याज से आय प्राप्त करने वाले करदाताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

TDS Returns: 12 वित्त वर्षों के टीडीएस रिटर्न में अभी नहीं तो कभी नहीं होगा सुधार

HighLights

  1. टीडीएस रिटर्न में सुधार का अंतिम मौका, 31 मार्च 2025 तक करें।
  2. पेंशनर और ब्याज से आय प्राप्त करने वाले करदाताओं के लिए महत्वपूर्ण अवसर।
  3. नए नियम के अनुसार, केवल छह साल तक ही टीडीएस रिटर्न में संशोधन किया जा सकेगा।

लोकेश सोलंकी, Newsstate24, इंदौर (TDS Revision Time Limit)। बारह वित्त वर्षों के टीडीएस रिटर्न में सुधार का अवसर इस वित्तीय वर्ष के समाप्त होते ही समाप्त हो जाएगा। 2007-2008 से 2018-2019 तक के किसी भी वित्त वर्ष के टीडीएस रिटर्न में 31 मार्च 2025 के बाद कोई सुधार संभव नहीं होगा।

पहले टीडीएस रिटर्न को संशोधित करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं थी। नए नियमों के तहत अब न केवल समय सीमा तय की गई है, बल्कि पिछले वर्षों के लिए सुधार का अंतिम अवसर भी प्रदान किया गया है। यह अंतिम मौका पेंशनरों और ब्याज से आय अर्जित करने वाले सामान्य करदाताओं के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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सामान्य पेंशनरों को नहीं मिलता सुधार का अवसर

वास्तव में, कंपनियों और फर्मों के व्यवसायी करदाता अपने वार्षिक फॉर्म 26-ए में टीडीएस रिटर्न दाखिल कर देते हैं और उसी दौरान गड़बड़ियों को सुधार लेते हैं, जबकि सामान्य पेंशनर और ब्याज से आय प्राप्त करने वाले करदाताओं को ऐसा अवसर नहीं मिलता। इनके रिटर्न में गलत दावे और डिमांड निकलने की घटनाएं आम होती हैं।

रिफंड का क्रेडिट गलत खाते में चला जाता है

टीडीएस रिटर्न में गलतियों के कारण रिफंड का क्रेडिट किसी दूसरे व्यक्ति के खाते में चला जाता है और संबंधित व्यक्ति पर आयकर विभाग कर की मांग कर देता है। इसी तरह, स्थायी खाता संख्या (पैन) की गलत जानकारी देने से भी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है।

कई पेंशनर करदाता जिनका पैन निष्क्रिय है, उनके रिटर्न में दाखिल करने पर विभाग 20 प्रतिशत की कटौती कर देता है। ऐसे करदाताओं को भी कर जमा करने के नोटिस प्राप्त होते हैं। इन सभी मामलों में उत्पन्न टैक्स की मांग को रिटर्न को सही करके समाप्त किया जा सकता है।

नए नियमों से उत्पन्न स्थिति

चार्टर्ड अकाउंटेंट जय नागपाल के अनुसार, जुलाई 2024 में सरकार ने आयकर अधिनियम में नया सेक्शन 200(3) जोड़ा है, जिसके अनुसार किसी भी वित्त वर्ष के बीतने के बाद केवल छह साल तक टीडीएस रिटर्न में संशोधन किया जा सकेगा। यह नियम एक अप्रैल से लागू हो जाएगा।

इससे पहले 2007-2008 से 2018-2019 तक के सभी मामलों में एक बार रिवाइज करने का अंतिम अवसर दिया गया है। अधिकांश करदाता अब भी इस विषय में अनजान हैं। इसके अतिरिक्त, टीडीएस अधिनियम में धारा 194(टी) भी जोड़ी गई है, जिसके तहत पार्टनरशिप फर्मों को एक अप्रैल से अपने भागीदारों को बोनस, भत्ता, कमीशन, ब्याज आदि का भुगतान करते समय ध्यान रखना होगा। यदि भुगतान की राशि वित्त वर्ष में 20 हजार से अधिक है, तो उस पर 10 प्रतिशत टीडीएस कटौती करना अनिवार्य होगा।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb

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