मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राजस्व अदालतों की कार्यप्रणाली की जांच का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने इन अदालतों की मनमानी कार्यप्रणाली पर गहरी नाराजगी प्रकट की और राजस्व मंडल के अध्यक्ष को जांच करने के लिए कहा है। यह कदम राजस्व अदालतों में सुधार लाने की दिशा में उठाया गया है।
कोर्ट ने राजस्व मंडल के अध्यक्ष को तीन महीने के अंदर जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष पेश करने का आदेश दिया। इसके साथ ही, कोर्ट ने स्टाफिंग पैटर्न और सुनवाई प्रक्रिया में व्यापक बदलाव के सुझाव देने के लिए भी कहा। कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया कि रिपोर्ट में रीडर की लंबी अवधि तक की तैनाती के प्रभाव और तीन साल में उनकी अदला-बदली की व्यवस्था का उल्लेख किया जाए।
अतिरिक्त संभागीय आयुक्त जबलपुर अमर बहादुर सिंह ने एक मामले में आवेदन प्रस्तुत होने के दूसरे दिन अनावेदकों की सुनवाई किए बिना ही आदेश पारित कर दिया। इस आदेश को जबलपुर निवासी रवि प्रसाद और अन्य ने हाई कोर्ट में चुनौती दी।
सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त आयुक्त ने अपनी गलती स्वीकार की और अपना आदेश वापस ले लिया। उन्होंने हाई कोर्ट को आश्वासन दिया कि वे अधीनस्थ अदालत का रिकॉर्ड मांगकर नए सिरे से मामले की सुनवाई करेंगे।
यह मामला रवि प्रसाद, राधा बाई और रंजीत काछी की पैतृक संपत्ति के बंटवारे से संबंधित है। तहसीलदार ने उन्हें जानकारी दिए बिना संपत्ति का बंटवारा कर दिया था। आवेदकों ने एसडीएम कोर्ट में अपील की, जिसने उनके पक्ष में अंतरिम आदेश दिया।
इस अंतरिम आदेश के खिलाफ मुरारी काछी और अन्य ने 17 फरवरी, 2025 को अतिरिक्त आयुक्त के समक्ष पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत की। यह मामला छह मार्च को सुनवाई के लिए तय था, लेकिन 18 फरवरी को रवि प्रसाद और अन्य को बिना सुने आदेश पारित कर दिया गया।