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कोटा की गर्भवती महिला, गिरजा साहू, जब सिम्स अस्पताल में दर्द की तीव्रता के चलते भर्ती हुईं, तो किसी ने सोचा नहीं था कि यह एक दुखद घटना का आगाज होगा। अचानक उनके पेट में उठे दर्द ने न केवल उन्हें गर्भपात के काले साये में धकेल दिया, बल्कि उनके परिवार में भी हड़कंप मचा दिया। इस बीच, परिवार के सदस्यों ने अस्पताल के कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया, जबकि चिकित्सकों ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उचित जांच की बात कही है।

मुख्य बातें
- परिजनों ने स्वास्थ्य स्टाफ पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया।
- गर्भवती गिरजा को गलती से एक अन्य महिला के लिए इंजेक्शन दिया गया।
- डॉक्टरों ने उचित इलाज और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया।
बिलासपुर, Newsstate24 प्रतिनिधि। कोटा की 24 वर्षीय गर्भवती महिला, गिरजा साहू, जब पेट में तेज दर्द के कारण सिम्स अस्पताल पहुंचीं, तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह एक दुखद घटना का आरंभ होगा। दुर्भाग्यवश, इंजेक्शन के बाद वह गर्भपात का शिकार हो गईं, जिससे उनके परिवार में बुरी तरह से अफरा-तफरी मच गई। परिवार के सदस्य अस्पताल के चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, गिरजा को गलती से एक अन्य गर्भवती महिला, कविता, के लिए निर्धारित इंजेक्शन लगा दिया गया। इस गंभीर स्थिति के बावजूद, डॉक्टरों ने परिवार को यकीन दिलाया कि उनकी जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। सिम्स प्रबंधन ने परिवार को आश्वासन दिया है कि मामले की गहन जांच की जाएगी, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
इंजेक्शन लगते ही शुरू हुआ ब्लीडिंग
गिरजा साहू, जो कोटा के करगीकला गांव की निवासी और लगभग पांच महीने की गर्भवती थीं, पेट दर्द के कारण सिम्स में भर्ती हुईं। लेकिन जैसे ही उन्हें इंजेक्शन दिया गया, अचानक ब्लीडिंग शुरू हो गई, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात की एक दुखद घटना घटित हुई। यह न केवल गिरजा के लिए बल्कि उनके परिवार के लिए भी एक सदमा था।
गिरजा ने किया लापरवाही का आरोप
गिरजा ने खुलासा किया कि वार्ड में भर्ती कविता, जो आठ महीने की गर्भवती थीं, के लिए इंजेक्शन दिया जाना था। लेकिन नर्सिंग स्टाफ ने गलती से उन्हें ही इंजेक्शन लगा दिया। जब डॉक्टरों को इस घटना का पता चला, तो उन्होंने तुरंत स्टाफ को फटकार लगाई। यह सब सुनकर गिरजा और उनके परिवार की चिंता और भी बढ़ गई।
एचओडी ने कहा- कोई गलती नहीं, महिला की बचाई जान
स्त्री रोग विभाग की प्रमुख, डॉ. संगीता जोगी, ने लापरवाही के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि गिरजा का इलाज पूरी तरह से उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर किया गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि समय पर इलाज नहीं मिलता, तो उनकी जान भी जा सकती थी। डॉ. जोगी ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है, ताकि इस दुखद घटना के पीछे की वास्तविकता सामने आ सके।
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