अप्रैल 2022 से व्यापमं और सीजीपीएससी यानी छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के लिए आवेदन प्रक्रिया को निश्शुल्क कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में अभ्यर्थी फार्म भरते हैं, लेकिन परीक्षा में भाग नहीं लेते। इस स्थिति में सरकार को छात्रों की संख्या के अनुसार ओएमआर शीट प्रिंट करवानी पड़ती है, जिससे खर्च होता है और अनुपस्थित छात्रों के कारण उस पैसे का दुरुपयोग होता है।
व्यापमं की मुफ्त परीक्षाओं से सरकारी संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हाल ही में मत्स्य निरीक्षक की परीक्षा में सिर्फ नौ प्रतिशत और प्रयोगशाला सहायक की परीक्षा में 18 प्रतिशत अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इन दोनों परीक्षाओं के आयोजन में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये बर्बाद हुए और मैनपावर तथा भवन जैसे संसाधनों का भी दुरुपयोग हुआ।
अप्रैल 2022 से लागू निश्शुल्क आवेदन की प्रक्रिया के चलते, बड़ी संख्या में लोग फार्म भरते हैं लेकिन परीक्षा देने की ओर ध्यान नहीं देते।
चार प्रमुख परीक्षाओं में कुल 7.5 करोड़ रुपये से अधिक की बर्बादी हुई है। उदाहरण के लिए, मत्स्य निरीक्षक के 70 पदों के लिए 21 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, लेकिन केवल नौ प्रतिशत ने परीक्षा दी, जिससे लगभग 43.95 लाख रुपये का नुकसान हुआ। इसी तरह प्रयोगशाला सहायक के नौ पदों के लिए 67 हजार आवेदन आए, जिसमें से 18 प्रतिशत ने परीक्षा दी, जिससे 1.26 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
व्यापमं को आवेदनों की संख्या के अनुसार ओएमआर शीट प्रिंट करवाने की जरूरत होती है और परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था भी करनी पड़ती है। एक अभ्यर्थी के लिए यह खर्च 160 से 230 रुपये तक होता है, जिसमें कम अभ्यर्थियों वाली परीक्षा में प्रति अभ्यर्थी 230 रुपये और ज्यादा संख्या में 160 रुपये का खर्च आता है।
शिक्षाविद डॉ. जवाहर सूरी सेट्टी के अनुसार, निश्शुल्क आवेदन की व्यवस्था पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि अभ्यर्थियों की अनुपस्थिति एक गंभीर चिंता का विषय है।
भूपेश बघेल सरकार ने 2022 में भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं के लिए निश्शुल्क आवेदन की शुरुआत की थी। व्यापमं हर साल 10 प्रवेश परीक्षाएं और कई भर्ती परीक्षाएं आयोजित करता है, और सीजीपीएससी का भी यही हाल है।