सद्गुरु अक्सर इस बारे में बात करते हैं कि आधुनिक जीवनशैली कैसे हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है। उदाहरण के लिए, पेट भरकर सोने की आदत से शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। वे इस बात की चेतावनी देते हैं कि यह आदत पीठ दर्द का कारण बन सकती है और नींद में भी बाधा डाल सकती है।
आयुर्वेद के अनुसार, सोने से पहले भारी भोजन करना स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस विषय पर चर्चा करने के लिए ‘ओनली माय हेल्थ’ ने आयुष की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. स्वाति दराडे से बात की। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद इस आदत को किस तरह से देखता है और पाचन और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए क्या सुझाव दिए जाते हैं।
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सद्गुरु गुनगुने पानी से स्नान करने की सलाह देते हैं। ऐसा करने से न केवल शरीर की गंदगी दूर होती है, बल्कि यह दिनभर के तनाव को भी कम करता है, जिससे आराम की भावना पैदा होती है, जो नींद की गुणवत्ता को बेहतर बना सकती है।
वे यह भी कहते हैं कि ताजा और तुरंत पका हुआ खाना ही खाना चाहिए। यदि आप खाना बनाते हैं, तो उसे 90 मिनट के अंदर खा लेना चाहिए। हमेशा हल्का भोजन करें, इससे आपकी नींद में सुधार होगा।
भरे पेट के साथ सोने से कई समस्याएं हो सकती हैं। आंतों और आंतों की नसें निचली रीढ़ से जुड़ी होती हैं, और पेट भरा होने पर इन नसों पर दबाव पड़ता है। यह समस्या पीठ के निचले हिस्से में दर्द को जन्म दे सकती है, क्योंकि पाचन के कारण होने वाला भार असुविधा पैदा कर सकता है।
इसके अलावा, सोने से पहले भारी भोजन करने से शरीर की सर्कैडियन लय प्रभावित हो सकती है, जिससे नींद आना कठिन हो जाता है। खाने के तुरंत बाद सोने से पाचन में मदद करने वाले गुरुत्वाकर्षण पर असर पड़ता है, जिससे बिना पचाया हुआ भोजन शरीर में अधिक समय तक बना रहता है। इससे न केवल बेचैनी होती है, बल्कि दीर्घकालिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।