Battle of Badr 2025: रमजान इस्लाम का एक पवित्र महीना है, जिसमें सभी मुसलमानों पर रोजा रखना अनिवार्य है। यह वही महीना है जब इस्लाम की पहली लड़ाई भी लड़ी गई थी। रमजान की 17वीं तारीख को इस्लाम की पहली लड़ाई हुई, जिसे जंग-ए-बद्र (jung-e-badr) के नाम से जाना जाता है।
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13 मार्च 624 को पैगंबर मोहम्मद ने इस्लाम के पक्ष में पहली बार जंग लड़ी थी। इस लड़ाई के बाद ईद का त्योहार मनाया गया था। यह वह समय था जब अल्लाह के नबी, पैगंबर मोहम्मद, लोगों को इस्लाम का ज्ञान देते थे और अल्लाह की इबादत करने के लिए प्रेरित करते थे। इसी कारण मक्का के लोग पैगंबर के प्रति शत्रुतापूर्ण हो गए थे।
आज ही के दिन हुई थी इस्लाम की पहली लड़ाई
तिथि के अनुसार जंग-ए-बद्र 13 मार्च 624 को हुई थी, लेकिन जिस दिन यह लड़ाई लड़ी गई, उस दिन रमजान का 17वां रोजा भी था। आज 18 मार्च 2025 को भी रमजान का 17वां रोजा है, और रोजेदारों ने इस दिन का रोजा रखा है। जंग के दिन पैगंबर साहब और उनके 313 अनुयायियों ने भी रोजा रखकर लड़ाई लड़ी थी।
313 बनाम 1000
अबू जहल इस्लाम को समाप्त करने का इरादा रखता था। वह अपने 1000 से अधिक सशस्त्र सैनिकों के साथ मक्का से निकला, जिनके पास 700 ऊंट और 100 घोड़े भी थे। वहीं, पैगंबर मोहम्मद के साथ केवल 313 अनुयायी थे, जिनमें से कई को तो हथियार चलाने का भी अनुभव नहीं था और कुछ ने तो पहले कभी कोई लड़ाई नहीं लड़ी थी। खुद पैगंबर साहब भी इस लड़ाई में भाग लेना नहीं चाहते थे, लेकिन जब कुफ्फार ने इस्लाम को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया, तो अल्लाह ने अपने प्रिय नबी (पैगंबर साहब) को आदेश दिया कि जो तुम्हें हानि पहुंचाए, उसके खिलाफ जंग करो। इसी प्रकार इस्लाम के इतिहास में जंग-ए-बद्र की पहली लड़ाई लड़ी गई।
मदीना से लगभग 80 मील दूर बदर नामक स्थान पर यह लड़ाई लड़ी गई थी, जिसके कारण इसे जंग-ए-बद्र कहा गया। इस लड़ाई में विजय के बाद खुशी में ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया गया। यही कारण है कि हर साल रमजान के बाद ईद मनाई जाती है। इसके बाद भी पैगंबर मोहम्मद ने इस्लाम की रक्षा के लिए कई अन्य लड़ाइयाँ लड़ीं और सफलताएँ प्राप्त कीं।
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