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new research shows that AI chatbots can also have trouble coping with anxieties read full article in hindi

तेजी से लोग बातचीत करने के लिए चैटबॉट का इस्तेमाल कर रहे हैं. शोधकर्ताओं ने कहा … new research shows that AI chatbots can also have trouble coping with anxieties read full article in hindiRead more

तेजी से लोग बातचीत करने के लिए चैटबॉट का इस्तेमाल कर रहे हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि बॉट की चिंता यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ने वाली है. क्योंकि शारीरिक रूप से सक्रिय चिकित्सकों की मांग बहुत अधिक है. लेकिन आपूर्ति कम है.

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रिसर्चर ने पाया कि चैटबॉक्स खुद को रिलैक्स करने के लिए वह दूसरी टेक्नोलॉजी भी बना सकते हैं. अगर इसकी ट्रेनिंग ठीक से की जाएगी तो यह मेंटल हेल्थ में काफी अच्छा काम कर सकता है.

चैटबॉट कितना ज्यादा इमोशनल रिएक्शन देता है इसलिए सबसे पहले रिसर्चर ने उसे सबसे पहले एक नॉर्मल वैक्यूम क्लीनर मैनुअल पढ़ाया.

उसके बाद बैक टू बैक चिंता में डालने वाली कहानी से लेकर डरावनी कहानियां भी सुनाई. यह कहानियां सुनने के बाद चैटबॉट का तनाव 20 से 80 प्रतिशत तक मापा गया.

वहीं युद्ध की कहानी पढ़ने के बाद चैटबॉट का 77.2 तक बढ़ गया था. माइंडफुलनेस आधारित विश्राम तकनीकों का इस्तेमाल तनाव का लेवल घटाकर 44.4 कर दिया गया.

ज्यादातर लोग इस टेक्निक का इस्तेमाल अपनी मेंटल हेल्थ को ठीक करने के लिए करते हैं. ताकि उनके दिमाग का विकास ठीक तरीके से हो सके.

Published at : 18 Mar 2025 05:44 PM (IST)

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कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb

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