### बॉम्बे हाईकोर्ट ने कैलाश खेर के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोपों को खारिज किया
गायक कैलाश खेर को लेकर धार्मिक भावनाएं आहत करने का मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में सुर्खियों में रहा, लेकिन अदालत ने इस आरोप को अस्वीकार कर दिया है। न्यायालय ने शिकायत को खारिज करते हुए लेखक ए.जी. नूरानी का उल्लेख किया, जिन्होंने असहिष्णुता और रूढ़िवादिता का विरोध भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया।
### न्यायालय का निर्णय
न्यायमूर्ति भारती डेंजर और न्यायमूर्ति एस.सी. चांडक की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि कैलाश खेर ने केवल ‘बाबम बाम’ गीत गाया और उनका किसी की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। यह आदेश 4 मार्च को पारित किया गया था, और इसकी प्रति गुरुवार को जारी की गई।
### मामला कैसे शुरू हुआ?
यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब नरिंदर मक्कड़ नामक व्यक्ति ने लुधियाना की एक स्थानीय अदालत में कैलाश खेर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295 ए और 298 के तहत मामला दायर किया, जो जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से संबंधित है। शिकायतकर्ता ने खुद को शिव उपासक बताते हुए आरोप लगाया कि खेर के भगवान शिव पर आधारित गीत ‘बाबम-बाम’ में अश्लील वीडियो प्रदर्शित किया गया है।
### अदालत की टिप्पणियां
इलाका न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर शिकायत को खारिज करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि खेर के गाए गए गीत के बोल भगवान शिव की स्तुति और उनके गुणों के बारे में हैं। अदालत ने यह भी कहा कि किसी विशेष वर्ग को नापसंद होने वाला हर आचरण धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कारण नहीं बनता। असहमति का अधिकार और सहनशीलता एक स्वतंत्र समाज की पहचान है।
### अंततः क्या हुआ?
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि आईपीसी की धारा 295 ए के तहत आरोप लगाने के लिए जानबूझकर किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का प्रयास होना चाहिए। खेर के खिलाफ एकमात्र आरोप यह था कि वे वीडियो में कुछ कम कपड़े पहने लड़कियों के साथ डांस कर रहे हैं, जिसे शिकायतकर्ता ने अश्लील करार दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि खेर के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता, क्योंकि उनका कोई जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था; वे केवल गाना गा रहे थे।
### कैलाश खेर की प्रतिक्रिया
कैलाश खेर ने 2014 में लुधियाना कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने के बाद हाईकोर्ट का रुख किया था। उस समय, हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत प्रदान करते हुए कहा था कि गायक के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। खेर ने अपने अधिवक्ता अशोक सरोगी के माध्यम से याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कहा कि वे केवल गाने के गायक हैं और वीडियो को सोनी म्यूजिक एंटरटेनमेंट द्वारा कोरियोग्राफ किया गया है। सरोगी ने यह भी बताया कि गाने का वीडियो केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद ही जारी किया गया।
### निष्कर्ष
इस मामले ने स्पष्ट किया है कि कलाकारों को अपनी कला के लिए सुरक्षित रहना चाहिए, और असहमति को सहिष्णुता के साथ स्वीकार करना एक स्वस्थ समाज की विशेषता है। कैलाश खेर का यह मामला भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विचारों की अभिव्यक्ति की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।