Share Market Update: पिछले सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों में जोरदार उछाल देखने को मिला। बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी और सेंसेक्स में चार प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, जो पिछले चार वर्षों में सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त है। बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, यह तेजी निवेशकों की धारणा में सुधार, विदेशी निवेश में वृद्धि और सकारात्मक वैश्विक घटनाक्रमों के कारण हो रही है।
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निफ्टी में चार प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, जो फरवरी 2021 के बाद का सबसे बड़ा साप्ताहिक उछाल है। सेंसेक्स में भी चार प्रतिशत की साप्ताहिक बढ़त दर्ज की गई, जो जुलाई 2022 के बाद का उच्चतम स्तर है। बाजार में यह उछाल रुपये की मजबूती और एफआईआई की वापसी के चलते आया है। इसके अलावा, हाल के महीनों में कई शेयरों में भारी गिरावट ने कम कीमत पर खरीदारी के अवसर उपलब्ध कराए, जिससे निवेशक कम वैल्यूएशन का लाभ उठाने के लिए आगे आए।
कारोबारी सप्ताह के अंतिम दिन शुक्रवार को निफ्टी 23,350.4 अंक पर बंद हुआ, वहीं सेंसेक्स 76,905.51 अंक पर रहा। बेंचमार्क सूचकांकों में शुक्रवार को लगातार पांचवें सत्र में तेजी देखने को मिली। व्यापक आधार पर खरीददारी ने बाजार के ग्राफ को ऊपर उठाया। बजाज ब्रोकिंग रिसर्च के अनुसार, निफ्टी मिडकैप और स्मॉलकैप में क्रमशः 1.4 प्रतिशत और 2.1 प्रतिशत की तेजी के साथ व्यापक बाजार में भी सकारात्मक रुख बना रहा।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अनुसंधान अजीत मिश्रा ने कहा, “शार्प रिकवरी में कई महत्वपूर्ण कारकों ने योगदान दिया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) से दबाव में कमी और नकदी तथा डेरिवेटिव दोनों क्षेत्रों में सकारात्मक प्रवाह ने बाजार में जरूरी स्थिरता प्रदान की। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतें और डॉलर इंडेक्स हाल की गिरावट के बाद निचले स्तर पर बने रहे, जिससे बाजार धारणा को मजबूती मिली।” उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में ब्याज दरों में कटौती के संकेत और रूस-यूक्रेन संघर्ष में तनाव में कमी की रिपोर्टों ने आशावाद को बढ़ावा दिया है।
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रियल एस्टेट, ऊर्जा और फार्मा सेक्टर सबसे अधिक लाभ में रहे, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 7.7 प्रतिशत से 8.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे बाजार में समग्र तेजी बनी रही। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले सप्ताह में निवेशकों का ध्यान मार्च के डेरिवेटिव अनुबंधों की समाप्ति और एफआईआई गतिविधियों पर रहेगा। वैश्विक स्तर पर, अमेरिकी बाजारों पर नजर रखी जाएगी, और टैरिफ से संबंधित अपडेट और जीडीपी वृद्धि के आंकड़ों से निवेशकों की धारणा प्रभावित होने की संभावना है।