रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ। भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के रवैये के खिलाफ सदन से वॉकआउट किया। सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने विधानसभा अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए।
विधानसभा अध्यक्ष की मनमानी:
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मरांडी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष सदन को मनमाने ढंग से चलाना चाहते हैं। सत्ता पक्ष को बोलने के लिए अधिक समय दिया जाता है, जबकि विपक्ष के सदस्यों को बार-बार टोका जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भाजपा विधायक नीरा यादव सदन में बोल रही थीं, तो सत्ता पक्ष के विधायकों ने उन्हें टोका और जब नीरा यादव ने स्पीकर से टोका-टोकी में बर्बाद समय के बदले अतिरिक्त समय की मांग की, तो अध्यक्ष ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया।
“यह पूरी तरह से मनमानी है,” मरांडी ने कहा। “सत्ता पक्ष के विधायकों को संरक्षित किया जा रहा है, जबकि विपक्ष के सदस्यों को बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है।”
खनिजों की नाकेबंदी और अवैध ढुलाई:
झामुमो द्वारा खनिजों की नाकेबंदी की घोषणा के सवाल पर मरांडी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह झामुमो की पुरानी आदत है। उन्होंने आरोप लगाया कि धनबाद और बोकारो से प्रतिदिन 400-500 ट्रक कोयले की अवैध ढुलाई हो रही है और राज्य सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन द्वारा इसे संरक्षण दिया जा रहा है।
केंद्र सरकार पर बकाए की बात पर मरांडी ने कहा कि झामुमो बार-बार “ब्रेकअप” मांगता है, लेकिन यह नहीं बताता कि कब का कितना बकाया है। उन्होंने कहा कि झामुमो जिस कांग्रेस पार्टी की गोद में बैठकर खेल रहा है, वह उसी कांग्रेस पार्टी की देन है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने 60 वर्षों के शासन में CCL, BCCL और HEC के विस्थापितों की समस्याओं का समाधान नहीं किया।
“आज मोदी सरकार राज्य की समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर है, लेकिन कांग्रेस और झामुमो को समाधान की चिंता नहीं है,” मरांडी ने कहा। “उन्हें केवल राज्य को लूटने का अवसर चाहिए।”
कांग्रेस विधायक समाधान नहीं चाहते:
मरांडी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायक राज्य की समस्याओं का समाधान नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और झामुमो केवल राज्य के संसाधनों का दोहन करना चाहते हैं।
विपक्ष का विरोध:
भाजपा विधायकों का वॉकआउट विधानसभा अध्यक्ष के रवैये के खिलाफ विपक्ष का विरोध है। मरांडी ने कहा कि विपक्ष को सदन में बोलने का अधिकार है और विधानसभा अध्यक्ष को निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि विधानसभा अध्यक्ष अपना रवैया नहीं बदलते हैं, तो विपक्ष आगे भी विरोध प्रदर्शन करेगा।
यह घटनाक्रम झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इसका क्या प्रभाव होता है।