साइबर धोखाधड़ी: दिल्ली में एक नया साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यह मामला ऑनलाइन केवाईसी वेरिफिकेशन प्रक्रिया से संबंधित है। रेणु विश्वनाथ नामक महिला ने इस धोखाधड़ी के कारण अपनी 47 लाख रुपये की बचत एक पल में खो दी। वह एक प्रधानाध्यापिका रह चुकी हैं और वर्तमान में रिटायर हैं।
साइबर धोखाधड़ी से बचने के उपाय
इस विषय पर चर्चा करते हुए एकॉर्ड ज्यूरिस के मैनेजिंग पार्टनर अलय रिजवी ने कहा कि कोई भी बैंक अपने ग्राहकों से व्हाट्सऐप के माध्यम से केवाईसी कराने के लिए नहीं कहेगा और न ही किसी बाहरी एपीके फाइल को डाउनलोड करने के लिए कहेगा। साइबर अपराधी अक्सर तात्कालिकता का बहाना बनाकर उपयोगकर्ताओं को धोखा देते हैं और उनसे व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करते हैं।
केवाईसी प्रक्रिया के लिए हमेशा बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या ऐप पर जाएं। किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें, ऐप डाउनलोड न करें और ओटीपी साझा करने से भी दूर रहें। हमेशा स्रोत को सत्यापित करना आवश्यक है। इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए दो-तरफा सत्यापन बनाए रखना चाहिए।
महिला के साथ धोखाधड़ी कैसे हुई
इस मामले में महिला को पहले व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला कि उनका केवाईसी लंबित है। इसके बाद उसे एक कॉल आया, जिसमें धोखेबाज ने खुद को बैंक कर्मचारी बताया और उसे केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने का दबाव डालने लगा। कॉल के दौरान उन्हें ऐसा करने के लिए कहा गया।
इसके बाद महिला को व्हाट्सएप पर एक और संदेश मिला जिसमें एक APK फाइल का लिंक दिया गया, जिसे डाउनलोड करने के लिए कहा गया। फाइल में मौजूद मैलवेयर के कारण जैसे ही महिला ने उस पर क्लिक किया, उनके बैंक से संबंधित विवरण धोखेबाजों तक पहुंच गए और उन्होंने उनकी सारी बचत पर हाथ साफ कर दिया।
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