भारत के द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ में कमी के संकेत मिलने के बाद, एक उच्चस्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल मंगलवार से भारत का दौरा करने वाला है। इस प्रतिनिधिमंडल में दक्षिण और मध्य एशिया के असिस्टेंट, यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव ब्रेदन लैन्च भी शामिल हैं।
यह दौरा उस समय हो रहा है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे यह चिंता बढ़ गई है कि भारत से निर्यात होने वाले कृषि उत्पाद, मीट, प्रसंस्कृत खाद्य सामग्री, ऑटोमोबाइल्स, डायमंड्स, गोल्ड प्रोडक्ट्स, साथ ही कैमिकल्स और फार्मा प्रोडक्ट्स पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इन पर टैरिफ का अंतर 8 से 33 फीसदी तक हो सकता है।
हालांकि, इकॉनोमिक थिंक टैंक GTRI ने इस संबंध में चेतावनी दी है। जीटीआरआई ने मंगलवार को कहा कि भारत को अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करते समय सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि अमेरिका में फास्ट ट्रैक ट्रेड अथॉरिटी की कमी किसी भी समझौते को कांग्रेस द्वारा होने वाले परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
जीटीआरआई ने आगे कहा कि प्रमाणन प्रक्रिया अमेरिका को व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद उसे प्रभावी रूप से पुनः बातचीत करने की अनुमति देती है। इससे घरेलू कानूनी परिवर्तन, नियामक सुधार और नीतिगत बदलाव की मांग होती है, जो भारत की संप्रभुता को कमजोर कर सकता है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के फाउंडर अजय श्रीवास्तव का कहना है कि बातचीत के चलते न केवल कूटनीतिक कौशल की आवश्यकता है, बल्कि अमेरिका की व्यापार नीति में मौजूद कानूनी विषमताओं के प्रति भी सतर्क रहना जरूरी है।
ये भी पढ़ें: वो 5 कारण जिनकी वजह से शेयर बाजार में बनी जबरदस्त तेजी, लौटा निवेशकों को भरोसा