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भोपाल साइबर सेल में पदस्थ एसआई भरत लाल ने बताया कि साइबर अपराध का शिकार कोई भी हो सकता है लेकिन यह वेबसाइट विशेष तौर पर कॉलेज और स्कूल के विद्यार्थियों के लिए बनाई गई है ताकि उनमें साइबर अपराध के प्रति बुनियादी समझ विकसित हो सके।

HighLights
- 80 प्रतिशत अंक लाने वाले को माना जाता है जागरूक
- भोपाल साइबर सेल में पदस्थ एसआई प्रजापति की पहल
- स्कूल और कॉलेजों में भी पढ़ाए जा सकते हैं ये पाठ
Newsstate24 प्रतिनिधि, भोपाल : डिजिटल दुनिया के विस्तार के साथ ही साइबर अपराध का दायरा भी बढ़ रहा है। डिजिटल कामकाज में जरा सी लापरवाही या अज्ञानता के कारण लोग अपने जीवन की कमाई पल में गंवा रहे हैं।
गंभीर रूप लेते जा रहे इन अपराधों के प्रति लोगों को जागरूक करने भोपाल साइबर सेल में पदस्थ सब इंस्पेक्टर (एसआई) भरत लाल प्रजापति ने एक वेबसाइट डिजाइन की है। फ्रॉड फ्री इंडिया डाट काम नामक इस वेबसाइट में विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों की प्रकृति और ठगों के फांसने के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
(वेबसाइट में इस तरह सेक्शन दिए गए हैं।)
80 फीसदी अंक लाने वाले माने जाएंगे जागरूक
- साइबर अपराध से जुड़े 40 तरीकों पर लिखे अध्यायों में सीख और सावधानियां बताई गई हैं। हिंदी में लिखे हर अध्याय के बाद ऑनलाइन क्विज का विकल्प मिलता है। इसमें 10 सवालों के सही विकल्प चुनने होते हैं।
- प्राप्तांको के आधार पर कोई भी अपनी जागरूकता के स्तर का निर्धारण कर सकता है। 80 प्रतिशत अंक लाने वाले को जागरूक माना जाता है। वेबसाइट को ऐसे डिजाइन किया गया है कि स्कूल-कॉलेजों में भी इसका उपयोग किया जा सके।
- हर टेस्ट के सत्यापन के लिए एक यूनिक नंबर जनरेट होता है, जो शिक्षक के पास पहुंचेगा और वहां से सत्यापन भी होता है। प्रमाण-पत्र भी ऑनलाइन बन जाता है। भरत लाल ने भोपाल के कई स्कूलों और कॉलेज प्रबंधन से इसके उपयोग को लेकर चर्चा की है।
- उनका यह प्रयास फिलहाल निजी स्तर पर हो रहा है। प्रदेशभर के स्कूल-कॉलेजों में इसे लेकर बातचीत करने की योजना है। यदि ऐसा होता है तो नई पीढ़ी को भी जागरूक बनाया जा सकेगा, ताकि वे आने वाले खतरों के प्रति अलर्ट रहें।
इन विषयों पर हैं अध्याय
डिजिटल अरेस्ट, एटीएम कार्ड क्लोनिंग और स्किमिंग, कार्ड फिशिंग, फर्जी बैंकिंग एप, सिम स्वैप फ्राड, फर्जी यूपीआइ पेमेंट रिक्वेस्ट, लोन फ्राड, फर्जी लोन एप, क्रिप्टोकरेंसी स्कैम, लाटरी स्कैम, जाब फ्राड, मेट्रीमोनियल फ्राड, फर्जी ई-कामर्स वेबसाइट, ट्रैवल और वेकेशन स्कैम, साइबर बुलिंग, साइबर स्टाकिंग, ट्रोलिंग, मार्फिंग, फर्जी समाचार, डाक्सिंग, एकाउंट हैकिंग, डीपफेक क्रिएशन आदि।
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पहले भी बना चुके हैं एक वेबसाइट
भरत लाल बताते हैं कि जनवरी में साइबर अपराध के प्रति जागरूकता को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस का ‘सेफ क्लिक’ अभियान चला था। उसी दौरान इस वेबसाइट को बनाने का विचार आया था।