होलिका दहन 13 मार्च 2025 को शुभ मुहूर्त में सम्पन्न होगा। यह पर्व असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। भद्रा काल से बचना अत्यंत आवश्यक है।

HighLights
- होलिका दहन 13 मार्च 2025 को होगा।
- भद्रा काल में दहन करना अशुभ माना जाता है।
- यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
धर्म डेस्क, इंदौर। होलिका दहन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। यह होली के एक दिन पूर्व मनाया जाता है। इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च 2025 को होगा। इसका शुभ मुहूर्त गुरुवार रात 11:26 बजे से लेकर रात 12:30 बजे तक रहेगा।
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होलिका दहन के दौरान पूजा-अर्चना करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, जिससे सुख-समृद्धि का आगमन होता है। यह समय सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश भी करता है और बुराई के नाश का प्रतीक है।
हालांकि, होलिका दहन करते समय भद्रा काल का ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि इसमें दहन करना अशुभ माना जाता है। इसलिए, इस दिन के विशेष मुहूर्त में ही होलिका दहन करना शुभ होता है, जिससे यह अनुष्ठान सकारात्मक फल प्रदान कर सके।
होलिका दहन के दौरान पूजा कैसे करें
- सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। इससे मन और शरीर की शुद्धि होती है।
- होलिका दहन के लिए चुने गए स्थान की साफ-सफाई करें। सामग्री जैसे लकड़ी, गोबर के उपले आदि एकत्र करें।
- होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान नरसिंह की पूजा करें, जो इस पर्व के मुख्य देवता हैं।
- शुभ मुहूर्त में होलिका पूजन करें और अग्नि प्रज्वलित करें। समय का विशेष ध्यान रखें।
- परिवार के साथ मिलकर होलिका की अग्नि की तीन बार परिक्रमा करें।
- होलिका की अग्नि में गेहूं, चने की बालियां, जौ और गोबर के उपले अर्पित करें। उसके बाद गुलाल और जल चढ़ाएं।
- अग्नि शांत होने पर होलिका की भस्म घर लाएं। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
- यदि घर में वास्तु दोष हो, तो राख को दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय कोण) में रखें।
- होलिका दहन के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
होलिका दहन की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें (Holika Dahan Mantra)
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम।
होली की भस्म शरीर पर लगाते समय इस मंत्र का उच्चारण करें
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।।