भारतीय परिवहन व्यवस्था में जब भी आरामदायक और प्राकृतिक नजरों से भरे सफर की बात होती है, तो इसमें भारतीय रेलवे का स्थान सबसे ऊपर आता है। रेलवे सुरंग, पुल और प्रकृति की गोद से गुजरती ट्रेनें यात्रियों को एक अलग रोमांच का अनुभव कराती हैं।
भारत में रेलवे की नींव अंग्रेजों द्वारा डाली गई थी। हालांकि, इस विरासत को समृद्ध विरासत बनाने और विकसित करने का काम भारतीयों ने किया है, जिन्होंने न सिर्फ इसका विस्तार किया, बल्कि हर वर्ग के यात्रियों का ध्यान रखते हुए इसे सुगम सफर का साथी बनाया। आज यह सफर कई मीलों का सफर पूरा कर चुका है और यह लगातार बढ़ रहा है।
यह भारत की वह शान है, जो बीते कई वर्षों से लगातार बढ़ रही है और इस शान को बढ़ाने में भारतीयों की मेहनत और उस मेहनत से मिली कामयाबी शामिल है। आज न सिर्फ भारतीय रेलवे रफ्तार भर रही है, बल्कि इसकी रफ्तार भारत के आर्थिक विकास के पहिये को भी गति देने में मदद कर रही है।
भारतीय रेलवे देश में सिर्फ साधन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे भारत की लाइफलाइन भी कहा जाता है, क्योंकि यह करोड़ों लोगों की मंजिल है। लोगों की राहों का हमसफर है। इसे हम भारत की रीढ़ के रूप में भी जानते हैं, जो कि भारत में यतायात के प्रमुख साधनों में से एक है। रेलवे की ओर से प्रतिदिन करीब 13 हजार ट्रेनों का संचालन किया जाता है, जिनसे करोड़ों लोग यात्रा करते हैं।
एक्सप्रेस, स्पेशल, सुपरफास्ट समेत अन्य पैसेंजर ट्रेनों के साथ-साथ रेलवे में प्रतिदिन बड़ी संख्या में मालगाड़ियों का भी संचालन हो रहा है, जिसके माध्यम से प्रतिदिन कई टन माल की ढुलाई होती है। इससे भारत के आर्थिक विकास के पहिये को भी रफ्तार मिल रही है।
भारतीय रेलवे में प्रतिदिन हजारों ट्रेनों के माध्यम से करोड़ों यात्री ट्रेन में सफर कर अपनी मंजिलों तक पहुंचते हैं। इस संख्या में लगातार वृद्धि भी देखी जा रही है। वर्तमान में भारतीय रेलवे का नेटवर्क 68 हजार किलोमीटर से अधिक है और 8 हजार से अधिक रेलवे स्टेशन मौजूद हैं और लगातार इनकी संख्या बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त रेलवे में 300 रेलवे यार्ड, 2300 माल ढुलाई और 700 मरम्मत केंद्र हैं।
भारतीय रेलवे में 12 हजार से अधिक लोकोमोटिव और 74 हजार से अधिक यात्री कोच के साथ-साथ दो लाख से अधिक माल ढोने वाले वैगन हैं। भारतीय रेलवे 12 लाख से अधिक कर्मचारियों की संख्या के साथ दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाई है।
वर्तमान में भारतीय रेलवे कुल 18 जोन में विभाजित हैं। इसमें देश की राजधानी नई दिल्ली में रेलवे के उत्तरी जोन का मुख्यालय है। दक्षिणी जोन का मुख्यालय चेन्नई, पूर्वी कोलकाता और पश्चिमी जोन का मुख्यालय मुंबई है। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में हमें अलग-अलग मुख्यालय देखने को मिलते हैं।
भारत में पहली बार ट्रेन का संचालन के लिए 1832 में प्रस्ताव दिया गया था। बहुत ही कम लोगों को पता है कि 1837 में मद्रास की लाल पहाड़ियों में पत्थरों के लिए ट्रेन का संचालन किया गया था। इसे ग्रेनाइट परिवहन के लिए चलाया गया था। इसके बाद 1853 में मुंबई से ठाणे के बीच यात्री ट्रेन का संचालन हुआ था।
भारत के पहले रेलवे स्टेशन का दर्जा छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के पास है, जो आज भी भारतीय इतिहास की गवाही दे रहा है। यह अपनी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है और भारत के सबसे बड़े रेलवे टर्मिनल में से एक है। इसे आपने कई बॉलीवुड फिल्मों में देखा ही होगा।
रेलवे रूट पर पुलों और सुरंगों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है। अकेले जम्मू में ही कई सुरंगों पर काम चल रहा है। ऐसे में भारतीय रेलवे की दौड़ती ट्रेनें भारत के आर्थिक विकास में रफ्तार भरने का काम कर रही हैं। इसके अतिरिक्त देश की दुर्गम पहाड़ियों और पठारों में भी रेलवे अपनी पांव पसार रही है।
इन सभी आंकड़ों के साथ भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और लगातार इसके नेटवर्क में बढ़ोतरी हो रही है। हाल ही में सिक्किम में भी रेलवे स्टेशन बनाया गया है। आपने भी भारतीय रेलवे में जरूर सफर किया होगा। भारत में कोई भी मौसम हो, ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में कमी नहीं रहती है।
रेलवे द्वारा भी समय-समय पर यात्रियों को सुविधा देने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें चाहे दिल्ली से कश्मीर तक वंदे भारत स्लीपर ट्रेन चलाने की बात हो या फिर पूर्वोत्तर भारत तक रेलवे के नए ट्रैक बिछाने पर जोर देने की बात हो, रेलवे द्वारा हर दिशा में काम किया जा रहा है। कुछ ही समय में हम वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को भी दौड़ता हुए देखेंगे।
हाल ही में रेलवे द्वारा RAC में यात्रियों को राहत दी गई है, जिसके तहत अब आरएसी यात्रियों को बेड रोल की सुविधा मिलेगी। इससे पहले सिर्फ एक ही यात्री को यह सुविधा मिलती थी।
हालांकि, जरा सोचिए आप ट्रे्न में यात्रा कर रहे हैं और इस दौरान आपका टिकट खो जाता है या फिर आपका टिकट फट गया है। यदि आपके साथ ऐसा हो जाता है, तो आपको घबराना नहीं है, क्योंकि आप इस स्थिति में भी आराम से ट्रेन में यात्रा कर सकते हैं। बस आप यह पूरा लेख पढ़ें और निदान को जानें।
यदि टिकट खो जाए, तो क्या करें
भारतीय रेलवे में सफर करना किसे पसंद नहीं है। ऐसे में यदि आप ट्रेन में यात्रा में कर रहे हैं और आपका टिकट खो जाता है, तो आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। आपको भारतीय रेलवे के आरक्षण केंद्र को इस संबंध में सूचना देनी होगी, जिसके बाद केंद्र आपको एक डुप्लीकेट टिकट जारी करेगा। यह टिकट ओरिजिनल टिकट जैसा ही होता है।
इस टिकट से ओरिजिनल टिकट से आसानी से अंतर किया जा सकता है। आप अपने साथ बस यह टिकट रखें और आराम से यात्रा करें। हालांकि, यहां आपको डुप्लीकेट टिकट के लिए शुल्क देना होगा। आपको इसके लिए रेलवे के काउंटर पर भुगतान करना होगा। हालांकि, यह चार्ज ज्यादा नहीं है।
डुप्लीकेट टिकट का कितना लगेगा चार्ज
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि टीटीई की ओर से आपको डुप्लीकेट टिकट जारी किया जाता है, तो यह टिकट फ्री नहीं होगा, बल्कि इसके लिए आपको भारतीय रेलवे को भुगतान करना होगा। हालांकि, रेलवे की ओर से इसके लिए एक सीमित राशि तय की गई है। इसके बदले आपको रेलवे की ओर से लिए गए शुल्क की पर्ची भी दी जाएगी। आप इस स्लीप के माध्यम से बिना किसी चिंता के ट्रेन में यात्रा करत सकते हैं।
आखिर कितना करना होगा भुगतान
अब आप सोच रहे होंगे कि रेलवे की ओर से आपसे डुप्लीकेट टिकट के लिए कितना चार्ज लिया जा सकता है, तो आपको ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। यदि आप स्लीपर क्लास या सेकेंड क्लास से यात्रा कर रहे हैं, तो आपको अपनी यात्रा के लिए सिर्फ 50 रुपये खर्च करने होंगे। इसके बाद आपको भारतीय रेलवे की ओर से डुप्लीकेट टिकट मिल जाएगा।
यह टिकट मूल टिकट के बदले रेलवे की ओर से स्वीकार किया जाता है। इस टिकट के माध्यम से आप बिना किसी परेशानी के यात्रा कर सकते हैं। हालांकि, अन्य श्रेणियों के लिए यह शुल्क अलग है।
रेलवे में अलग-अलग श्रेणी का लगता है चार्ज
अब आपके मन में यह सवाल होगा कि आखिर रेलवे में अन्य श्रेणी का क्या चार्ज है, तो आपको बता दें कि भारतीय रेलवे की ओर से अलग-अलग श्रेणियों के लिए अलग-अलग डुप्लीकेट टिकट राशि तय की गई है। यदि आप स्लीपर और सेकेंड क्लास के अलावा किसी अन्य श्रेणी में यात्रा कर रहे हैं और आपका टिकट गुम हो जाता है, तो आपको इसके लिए ज्यादा नहीं, बल्कि सिर्फ 100 रुपये का दाम देना होगा, जिसके बाद आपको रेलवे की ओर से एक डुप्लीकेट टिकट जारी कर दिया जाएगा। आप इस टिकट से आराम से यात्रा कर सकते हैं।
यदि फट जाए टिकट, तो क्या करें काम
भारतीय रेलवे में यात्रा के दौरान कई बार ऐसा होता है कि मूल टिकट किसी कारण फट जाती है या फिर यह बच्चों द्वारा खराब कर दी जाती है या फिर अन्य किसी कारण से टिकट को नुकसान पहुंच जाता है। यदि आप ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं और आपके साथ इस तरह की घटना हो गई है, तो आप अपनी यात्रा के किराये का 75 या 50 फीसदी नहीं, बल्कि 25 फीसदी भुगतान कर डुप्लीकेट टिकट पा सकते हैं। इसके माध्यम से आप आसानी से यात्रा कर सकते हैं। मान लिजिए कि आपका टिकट 100 रुपये का है, तो आपको इसके लिए सिर्फ 25 रुपये देने होंगे और आप इतने रुपये में ही अपनी पूरी यात्रा कर सकते हैं।
वेटिंग टिकट है, तो बस यह करना चाहिए
यह हमारे साथ कई बार होता है कि हम किसी यात्रा के लिए टिकट बुक करते हैं, लेकिन भीड़ इतनी होती है कि हमें कंफर्म टिकट नहीं मिल पाता है। ऐसे में यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि आपके पास वेटिंग टिकट है, तो आपको डुप्लीकेट टिकट नहीं बनवानी है। आप इस संबंध में अपने ट्रेन के टीटीई को सूचना दे सकते हैं। क्योंकि, वेटिंग टिकट में आपको सीट नहीं मिलती है।
ऐसे में सिर्फ आप ट्रेन के कोच में यात्रा कर सकते हैं। वहीं, यदि आपका कंफर्म टिकट फटता है, तो इस स्थिति में आपको डुप्लीकेट टिकट मिलता है।
खोया टिकट मिलने पर यह करें
ट्रेन में यात्रा करते समय यह कई बार हो जाता है कि समय पर हमें टिकट नहीं मिलता है और बाद में टिकट मिलता है। ऐसे में सफर में परेशानी से बचने के लिए डुप्लीकेट टिक खरीद लेते हैं। यदि आपका ओरिजिनल टिकट मिल जाता है, तो आपके पास यह सुविधा है कि आप ट्रेन के छूटने से पहले रेलवे काउंटर पर पहुंच अपना डुप्लीकेट टिकट वापस कर अपने रुपये ले सकते हैं। हालांकि, सबसे सही तरीका ट्रेन के टिकट को संभालकर रखना है, जिससे आपको किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हो।
ट्रेन छूटने इतने स्टेशन तक सीट सुरक्षित
कई बार ऐसा होता है कि हम समय से घर से निकलते हैं, लेकिन रास्ते में जाम या अन्य किसी कारण से देरी हो जाती है और हमारी ट्रेन छूट जाती है। यदि आपकी ट्रेन छूट गई है, तो घबराना नहीं है, क्योंकि तब भी आपकी सीट अगले तीन स्टेशनों तक सुरक्षित होती है। टीटीई द्वारा आपकी सीट को कैंसिल नहीं किया जा सकता है।