5 मार्च को चंडीगढ़ कूच करने में असफल रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तहत किसान सोमवार को पूरे प्रदेश में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के विधायकों और मंत्रियों के घरों के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध के लिए किसानों ने पहले से ही योजना बना ली थी। प्रदर्शन सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक आयोजित किया जाएगा।
जालंधर में, मंत्री मोहिंदर भगत के घर के बाहर सुबह 11 बजे एसकेएम से जुड़े किसान नेता धरना देने पहुंचे। मोहाली में विधायक कुलवंत सिंह के निवास के बाहर भी किसानों की उपस्थिति रही। हालांकि, पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रखी है, जिसके लिए लुधियाना में एक बैठक में निर्णय लिया गया था।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने आज बताया कि शंभू मोर्चे को चलते हुए 390 दिन हो गए हैं। आज से संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हो रहा है। उनका कहना है कि सत्तापक्ष और विपक्ष को किसान मजदूरों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर चर्चा करनी चाहिए, और इस पर कानून बनना चाहिए। इसके साथ ही किसानों को कर्ज मुक्त करने की मांग भी की गई है। उन्हें यह भी लगता है कि शंभू बॉर्डर पर बनाई गई दीवार पर चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि यह पंजाब-हरियाणा की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है।
पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर एक साल से चल रहे आंदोलन में एसकेएम के शामिल होने पर अभी तक सहमति नहीं बनी है। चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के साथ इस मुद्दे पर छह दौर की बातचीत हो चुकी है, और 19 मार्च को फिर से बैठक निर्धारित है। वहीं, खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल अब 105वें दिन में प्रवेश कर गई है।
किसानों ने निर्णय लिया है कि केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठक में दोनों मंचों के नेता भाग लेंगे। एसकेएम की एक बैठक 15 मार्च को चंडीगढ़ में होगी, जो सेक्टर-35 स्थित किसान भवन में आयोजित की जाएगी। इस बैठक में किसानों द्वारा आगामी संघर्ष की रणनीति तय की जाएगी। इससे पहले, किसानों ने 5 मार्च को चंडीगढ़ कूच का फैसला लिया था, लेकिन 3 मार्च को मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ हुई बैठक में असफलता के बाद उन्हें 4 तारीख को नजरबंद कर दिया गया था, जिससे वे चंडीगढ़ पहुंचने में असमर्थ रहे।