गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा में जानकारी दी कि साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने डिजिटल अरेस्ट मामलों से जुड़े 3962 से अधिक स्काइप आईडी और 83,668 वॉट्सऐप अकाउंट्स की पहचान कर उन्हें ब्लॉक कर दिया है। I4C, गृह मंत्रालय की एक विशेष शाखा है, जो साइबर अपराधों की निगरानी का कार्य करती है। गृह राज्य मंत्री संजय बंदी कुमार ने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सांसद तिरुचि शिवा के प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि साइबर अपराधियों ने इन खातों का इस्तेमाल ईडी, सीबीआई जैसी एजेंसियों के अधिकारियों की तरह धोखाधड़ी करने के लिए किया था।
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इसके अलावा, 28 फरवरी, 2025 तक 7.81 लाख से अधिक सिम कार्ड और 2.08 लाख से ज्यादा IMEI नंबर भी ब्लॉक किए गए हैं। साथ ही, 13.36 लाख से अधिक शिकायतों के आधार पर 4386 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान से बचा जा सका है।
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार और टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर (TSP) ने अंतरराष्ट्रीय स्पूफ कॉल्स की पहचान और उन्हें ब्लॉक करने के लिए एक प्रणाली तैयार की है। ऐसी कॉल्स में मोबाइल डिस्प्ले पर भारत का नंबर दिखाई देता है, जबकि कॉल विदेश से आती है। TSP को इन कॉल्स को ब्लॉक करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1930 भी शुरू किया गया है। जागरूकता बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में जागरूकता कॉलर ट्यून भी प्रसारित की जा रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक ने बताया कि 2023 में देश में 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी हुई। पिछले 10 सालों में बैंकों ने साइबर धोखाधड़ी के 65,017 मामलों की सूचना दी, जिसमें कुल 4.69 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय साइबर अपराध में वॉट्सऐप का उपयोग बढ़ता जा रहा है। हमें सोशल मीडिया ऐप्स और वॉट्सऐप पर सतर्क रहना चाहिए और अनजान वीडियो कॉल रिसीव करने से बचना चाहिए। फेसबुक और इंस्टाग्राम प्रोफाइल को प्राइवेट रखें और अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें। अधिकतर मामलों में साइबर ठग वारदात से पहले सोशल साइट्स से लोगों की जानकारी जुटाते हैं।
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इस मामले से संबंधित एक और खबर में बताया गया है कि पहले बार कैमरे पर डिजिटल अरेस्ट करने वाले लुटेरे सामने आए हैं। भास्कर के रिपोर्टर ने 6 घंटे की कैद में रहकर उनकी हर साजिश को रिकॉर्ड किया। देशभर में डिजिटल अरेस्ट करने वाले ऑनलाइन लुटेरे कभी फर्जी IPS तो कभी CBI अधिकारियों के रूप में सामने आकर लोगों को आतंकी, रेपिस्ट या स्मगलर बताकर लाखों-करोड़ों रुपये लूट लेते हैं। इन लुटेरों का सच सामने लाने के लिए भास्कर के रिपोर्टर रावत प्रवीण सिंह ने खुद को डिजिटल अरेस्ट कराया। पूरी खबर पढ़ें…