मध्य प्रदेश की राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी के जाति प्रमाण पत्र को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का दावा है कि प्रतिमा बागरी अनुसूचित जाति वर्ग की सदस्य नहीं हैं, फिर भी उन्होंने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र हासिल कर चुनाव लड़ा और जीतकर मंत्री बन गईं। कांग्रेस ने मांग की है कि प्रतिमा बागरी को मंत्रिमंडल से हटा दिया जाए।
राज्य ब्यूरो, Newsstate24, भोपाल से मिली जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश की नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी के जाति प्रमाण पत्र पर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस का कहना है कि जिस रैगांव विधानसभा का प्रतिनिधित्व वह करती हैं, वह अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है, लेकिन बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में रहने वाले बागरी जाति के लोग मूल रूप से ठाकुर (राजपूत) समुदाय से संबंधित हैं।
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राज्य स्तरीय छानबीन समिति और भारत सरकार पहले ही इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुकी है। इसके बावजूद, प्रतिमा ने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवाकर चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने मांग की है कि उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और मामले की जांच की जाए।
इस विवाद में मध्य प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने आरोप लगाया है। उन्होंने एक प्रेस वार्ता में कहा कि 2003 में राज्य सरकार ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में रहने वाले राजपूत बागरी समुदाय के लोगों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी न किया जाए। इसके बाद 2007 में भारत सरकार ने भी स्पष्ट किया था कि राजपूत ठाकुर समुदाय के ‘बागरी’ जाति के लोग अनुसूचित जाति में शामिल नहीं हैं।
प्रदीप अहिरवार ने कहा कि इसके बावजूद प्रतिमा बागरी को गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया और उन्होंने अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ा। कांग्रेस नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस मामले की जांच नहीं करती है, तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
वहीं, प्रतिमा बागरी ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस के नेताओं को सही जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें पहले राजपत्र पढ़ लेना चाहिए था और आजकल सारी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है। जब उन्हें मंत्री बनाया गया, तब कांग्रेस को जाति की याद आई।
उन्होंने यह भी कहा कि पहले कांग्रेस ही बागरी जाति को टिकट देती रही है। भाजपा के जुगल किशोर बागरी लंबे समय तक विधायक और मंत्री रहे, तब यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया गया। प्रतिमा ने कहा कि पहले इतिहास को देखना और पढ़ना चाहिए और मिथ्या आरोप लगाने पर कार्रवाई होनी चाहिए।