मंदिर पर नहीं हो सकता किसी जाति का दावा
चेन्नई. मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि कोई भी जाति मंदिर के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकती है और जातिगत पहचान के आधार पर मंदिर प्रशासन भारत के संविधान के तहत संरक्षित धार्मिक प्रथा नहीं है। जस्टिस भरत चक्रवर्ती ने कहा कि जाति के नाम पर खुद को पहचानने वाले सामाजिक समूह पारंपरिक पूजा पद्धतियों को जारी रखने के हकदार हो सकते हैं, लेकिन जाति अपने आप में संरक्षित ‘धार्मिक संप्रदाय’ नहीं है।
घरेलू हिंसा से संबंधित विवाद पर मीडिएशन के दौरान महिला के मंगलसूत्र और बिंदी पहनकर नहीं आने पर पुणे के एक जज की ओर से की गई टिप्पणी की प्रदेश में भी आलोचना हो रही है। जज ने टिप्पणी की थी कि न मंगलसूत्र-न बिंदी, पति क्यों दिलचस्पी लेगा? दी बार एसोसिएशन जयपुर की वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीना शर्मा ने इस टिप्पणी को लेकर कहा कि एक जज को ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। प्रदेश में ऐसी समस्या से बचने के लिए न्यायालय प्रशासन से जजों के लिए गाइडलाइन जारी करने का आग्रह किया जाएगा। जल्द ही इसके लिए बार एसोसिएशन में भी चर्चा की जाएगी।
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जयपुर. मद्रास हाईकोर्ट के मंदिर परिसरों में फिल्मी गीत बजाने पर रोक लगाने का जयपुर के संत-महंतों ने स्वागत किया है। वहीं मीडिएशन के दौरान महिला के मंगलसूत्र नहीं पहनने और बिंदी नहीं लगाने पर पुणे में जज द्वारा की गई टिप्पणी के बाद जयपुर में जजों के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग उठ रही है।
संत-महंत बोले, भक्तों की आस्था की जीत, सरकार बोली-मंदिर प्रबंधनों से करेंगे चर्चा: मंदिर परिसरों में फिल्मी गीत बजने को लेकर मद्रास हाईकोर्ट के फैसले ने धार्मिक गीतों की पवित्रता को लेकर नई बहस छेड़ दी है। जयपुर में संत-महंतों ने जहां धार्मिक स्थलों पर फिल्मी धुन वाले धार्मिक गीत बजाने पर रोक के हाईकोर्ट के आदेश की सराहना की है, वहीं देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि इस मामले में दिशा-निर्देश जारी करने के लिए संत समाज और मंदिर प्रबंधनों के साथ बैठक की जाएगी।
हाल ही पुडुचेरी के वेंकटेश ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर स्थानीय मंदिर में ऑर्केस्ट्रा पर फिल्मी गाने बजाने का मामला उठाया। इस पर हाईकोर्ट ने मंदिर परिसरों में फिल्मी गीत बजाने पर रोक लगा दी।
जयपुर स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर के महंत कैलाश शर्मा ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर कहा कि पहले शास्त्रीय संगीत के रूप में भजन गाए जाते थे, जो आध्यात्मिक अहसास कराते थे। अब सरल शब्दों का उपयोग करना मानसिकता हो गई है। फिल्मी गानों पर भजन बजाए जाने से मानसिकता भगवान की बजाय फिल्म पर केन्द्रित हो जाती है।
झाड़खंड महादेव मंदिर का संचालन करने वाले बब्बू सेठ मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष जयप्रकाश सोमानी ने कहा कि भजनों में फिल्मी गाने नहीं बजने चाहिए। श्रावण मास में अक्सर कांवड़ यात्राओं में भी धार्मिक भजन ही बजने चाहिए। रामगंज बाजार स्थित श्याम सत्संग मंडल संस्था से जुडे पं.लोकेश मिश्रा ने कहा कि पदयात्राओं में अक्सर ऐसे ही गीत सुनने को मिलते हैं।