Posted in

‘बागबान’ के अनकहे शब्द 22 साल बाद खुले पन्ने, सलीम-जावेद की अदृश्य कलम

सलीम-जावेद, नाम ही काफी है। ‘शोले’, ‘दीवार’, ‘जंजीर’ जैसी फिल्मों के जादूगर। अमिताभ बच्चन को ‘एंग्री यंग मैन’ बनाने वाले। इन दोनों ने ‘बागबान’ में भी अपनी कलम चलाई थी,

'बागबान' के अनकहे शब्द 22 साल बाद खुले पन्ने, सलीम-जावेद की अदृश्य कलम
'बागबान' के अनकहे शब्द 22 साल बाद खुले पन्ने, सलीम-जावेद की अदृश्य कलम

हिंदी सिनेमा के सुनहरे इतिहास में, कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो सिर्फ पर्दे पर नहीं, बल्कि दिलों में उतर जाती हैं। ‘बागबान’ भी उन्हीं में से एक थी। 2003 में जब यह फिल्म आई, तो इसने हर उस घर की कहानी बयान की, जहाँ बुढ़ापे की दहलीज़ पर खड़े माँ-बाप अकेलेपन से जूझ रहे थे। लेकिन इस फिल्म के पीछे एक ऐसी कहानी छिपी थी, जो बरसों तक किसी ने नहीं जानी।

सलीम-जावेद, नाम ही काफी है। ‘शोले’, ‘दीवार’, ‘जंजीर’ जैसी फिल्मों के जादूगर। अमिताभ बच्चन को ‘एंग्री यंग मैन’ बनाने वाले। इन दोनों ने ‘बागबान’ में भी अपनी कलम चलाई थी, यह बात अब जाकर सामने आई है। रेणु चोपड़ा, फिल्म की निर्माता, ने हाल ही में बताया कि क्लाइमेक्स के कई दमदार संवाद इन्हीं दोनों ने लिखे थे। यह जानकर हैरानी होती है कि उन्होंने इसका श्रेय कभी नहीं लिया।

Also Read: सलमान की सह-कलाकार रंभा कर रही हैं एक्टिंग में वापसी: पति ने फिल्म के लिए निर्माता से की सिफारिश, 90 के दशक की इस एक्ट्रेस के पास हैं 2000 करोड़ की संपत्ति।

अमिताभ बच्चन का 11 पन्नों का जादू

याद है वो सीन, जब अमिताभ बच्चन किताब के लिए पुरस्कार लेते हुए एक लंबा-चौड़ा भाषण देते हैं? वो 11 पन्नों का था। रेणु जी बताती हैं कि अमिताभ जी ने इसे तैयार करने के लिए तीन दिन माँगे। वो एक ही टेक में शूट हुआ, क्योंकि भावनाओं को बार-बार दोहराना मुश्किल था। वो भाषण, वो शब्द, सीधे दिल में उतरते हैं।

बिना नाम, बिना शोर: क्यों रखा योगदान गुप्त?

अब सवाल उठता है, क्यों? क्यों सलीम-जावेद ने अपना नाम पीछे रखा? रेणु जी कहती हैं कि वे नहीं चाहते थे कि असली लेखक की मेहनत कम लगे। उन्होंने प्रेम से कहा, “हमें क्रेडिट नहीं चाहिए।” सोचिए, इतनी बड़ी शख्सियत, इतनी बड़ी सफलता, और फिर भी नाम की चाहत नहीं।

अब वक्त है सम्मान का

रेणु जी अब उन्हें उनका हक देना चाहती हैं। वह कहती हैं, “क्लाइमेक्स जावेद अख्तर ने लिखा था, लेकिन उन्होंने फिल्म तक नहीं देखी। उन्होंने कहा था, क्रेडिट नहीं चाहिए, पर अब मैं उन्हें उनका सम्मान देना चाहती हूँ।” यह बात सिर्फ एक फिल्म के क्रेडिट की नहीं है। यह बात है उन कलाकारों की, जो गुमनाम रहकर भी अपनी कला से दुनिया को रोशन करते हैं।

‘बागबान’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक अहसास है। और इस अहसास में सलीम-जावेद की कलम का भी योगदान है, भले ही वह दिखाई न दे। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची कला कभी गुमनाम नहीं रहती, और सच्ची विनम्रता हमेशा दिलों में जगह बनाती है।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb