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मंदसौर गोलीकांड: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को भेजा नोटिस

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मंदसौर गोलीकांड (Mandsaur Golikand) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस पूर्व विधायक पारस सकलेचा द्वारा दायर की गई याचिका के संदर्भ में जारी किया गया है, जिसमें जैन आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने की मांग की गई है।

Mandsaur Firing Case: मंदसौर गोलीकांड के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट की एक पुरानी तस्वीर।

HighLights

  1. मंदसौर गोलीकांड की जांच के लिए जैन आयोग का गठन किया गया था।
  2. जैन आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने की मांग की गई।
  3. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया।

Newsstate24 प्रतिनिधि, जबलपुर (Mandsaur Golikand)। मंदसौर गोलीकांड की जांच के लिए गठित जैन आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने की मांग को लेकर पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संदीप दास और न्यायाधीश विक्रम मेहता की युगलपीठ ने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है।

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याद रहे कि छह जून, 2017 को पिपलिया मंडी, मंदसौर में आंदोलनरत किसानों पर पुलिस ने गोली चलाई थी, जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई थी। इस गोलीकांड की सीबीआई जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पारस सकलेचा ने हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर की थी।

जैन आयोग का गठन करने पर हाई कोर्ट ने याचिका को किया था निरस्त

न्यायाधीश पीके जायसवाल और न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने शासन द्वारा जैन आयोग के गठन के आधार पर याचिका को निरस्त कर दिया था। इस गोलीकांड की जांच के लिए 12 जून, 2017 को जैन आयोग का गठन किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट 13 जून, 2018 को राज्य शासन को सौंप दी थी।

जैन आयोग की रिपोर्ट को चार वर्ष बाद भी विधानसभा के पटल पर नहीं रखा जाने पर पारस सकलेचा ने हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर कर कहा कि सरकार को आदेश दिया जाए कि वह जैन आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई करे और उसे विधानसभा के पटल पर रखे।

पारस सकलेचा ने अदालत को बताया था कि जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3 (4) के तहत, रिपोर्ट मिलने के छह माह के भीतर उसे विधानसभा के पटल पर रखना शासन का दायित्व है।

हाई कोर्ट की न्यायाधीश विवेक रूसिया की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने 14 अक्टूबर, 2024 को पारस सकलेचा की याचिका को निरस्त करते हुए कहा कि घटना को छह से सात वर्ष बीत जाने के बाद रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने का कोई औचित्य नहीं दिख रहा है।

हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ पारस सकलेचा ने 8 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा और सर्वम रीतम खरे के तर्क सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb