शाजापुर में हिंदी जागृति मंच ने सोमवार को एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कई रचनाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। राजेश मालवीय ने नारी और नर के संबंधों पर अपनी कविताएं पेश कीं, जबकि बाबूलाल परमार ने ग्रामीण जीवन के रंगों को बयां किया। विनोद परमार ने होली के उत्सव पर कविता सुनाई, और धर्मेंद्र नायक ने मां की ममता पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
कवि भास्कर भावुक ने नफरत के विरुद्ध अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए रचनाएं साझा कीं। श्रृंगार रस के कवि हरीश पाटीदार ने “लड़ाओ जगनुओं को सूर्य से और सूर्य को गैलेक्सी से” शीर्षक से एक मधुर काव्य पाठ किया। मंच के संस्थापक अध्यक्ष महेंद्र सिंह तोमर ने भी अपनी कविता के माध्यम से शुभकामनाएं दीं, जिसमें उन्होंने कहा, “कोई पंक्तियां कैसे रच दूं तुम पर कैसे एक दिन… आज भर शुभकामनाएं दे दूं… तुम्हें…”
इस अवसर पर वक्ता ने कहा कि भारत में साहित्य का उद्भव मानवता से पहले हुआ। मानस मर्मज्ञ पं. श्यामस्वरूप मनावत ने बताया कि भारत एक ऐसा देश है, जहां साहित्य का आरंभ मनुष्य से पूर्व हुआ। उन्होंने कालापीपल का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान नारायण ने ब्रह्मा को चार श्लोक सुनाए, जिनसे भागवत की रचना हुई। इसके बाद ही सृष्टि का निर्माण प्रारंभ हुआ।
उन्होंने नवरात्रि पर भी चर्चा की, बताय कि भारत में दो नवरात्रि में कुल 36 दिन महिलाओं को समर्पित हैं। ऐसे में केवल एक दिन का वुमन डे मनाना कितना उचित है? उन्होंने कहा कि अंधकार को समाप्त करने का साहस केवल स्त्री में है, इसलिए नवरात्रि को स्त्री शक्ति से जोड़ा गया है।
कार्यक्रम में हिंदी जागृति मंच के पिछले आयोजनों पर एक स्मारिका निकालने का विचार भी किया गया। मंच के मीडिया प्रभारी संदीप गेहलोत ने आगामी कार्यक्रमों के बारे में अपने विचार साझा किए। इस दौरान अरुण कुमार शर्मा, चंदर सिंह परमार और अन्य काव्य प्रेमी उपस्थित रहे। संचालन का कार्य कवि भास्कर भावुक ने किया। समारोह की अध्यक्षता मंच की वरिष्ठ सदस्य सीमा शर्मा ने की, जबकि मंच के अध्यक्ष कैलाश नारायण परमार ने जापानी हाईकू और दोहों के माध्यम से अपनी बात रखी।