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जबलपुर में फर्जी धान खरीद में 12 थानों में 74 लोगों पर दर्ज की गई एफआईआर, शामिल हैं सोसायटी के कर्मचारी भी

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जबलपुर में धान खरीद में एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। इस मामले में 12 थानों में 74 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें सोसाइटी के कर्मचारी भी शामिल हैं। यह कार्रवाई कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देशानुसार की गई है।

जबलपुर में फर्जी धान खरीदी में 12 थानों में 74 लोगों पर एफआईआर, इनमें सोसायटी के कर्मचारी भी

HighLights

  1. जबलपुर में धान खरीद में 30 करोड़ रुपये का हुआ फर्जीवाड़ा।
  2. एमपी स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन के कर्मचारी भी शामिल।
  3. कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर की गई कार्रवाई, जांच जारी।

Newsstate24 प्रतिनिधि, जबलपुर। जबलपुर जिले में धान की खरीद, परिवहन और मिलिंग में हुए फर्जीवाड़े के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की गई है। कलेक्टर दीपक सक्सेना के आदेश पर इस फर्जीवाड़े में संलग्न 74 व्यक्तियों के खिलाफ जिले के 12 थानों में एफआईआर दर्ज की गई है।

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इस मामले में 13 कर्मचारी, 17 राइस मिलर और 25 सोसाइटी के 44 कर्मचारियों सहित कुल 74 लोगों के खिलाफ एफआईआर की गई है। मामला दर्ज होते ही पुलिस ने आरोपियों की तालाश शुरू कर दी है और कई स्थानों पर छापेमारी भी की गई है।

मोबाइल बंद कर हो गए फरार

इस बीच, जिला प्रशासन की कार्रवाई की सूचना मिलते ही मिलर्स, सोसाइटी प्रबंधक, कम्प्यूटर ऑपरेटर और अन्य कर्मचारी अपने मोबाइल बंद कर फरार हो गए। इस फर्जीवाड़े की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन से जुड़े कर्मचारियों ने मिलर्स और सोसाइटियों के साथ मिलकर कागजों पर धान का उठान और परिवहन किया तथा फर्जी रिलीज ऑर्डर जारी किए। कुल 30 करोड़ 14 लाख रुपये की धान कागजों पर खरीद ली गई, जिसमें से लगभग 14 करोड़ रुपये की धान जबलपुर के बाजार में बेची गई और शेष 16 करोड़ रुपये की धान को ऑनलाइन पोर्टल पर चढ़ाया गया।

स्थानीय दलालों को बेची धान

ग्वालियर, उज्जैन, मुरैना, मंडला, मनेरी आदि स्थानों के मिलर्स ने सोसाइटियों से धान उठाने के बजाय स्थानीय दलालों को बेचा। इन्होंने कागजों पर ट्रक से धान का फर्जी परिवहन दिखाया, जबकि इन ट्रकों का टोल न तो काटा गया और न ही वे टोल कैमरे में दिखाई दिए।

जांच समिति ने धान के परिवहन करने वाले ट्रकों का एनएचएआइ के टोल नाके से मूवमेंट की जांच की। परिवहन विभाग की सहायता से ट्रकों की श्रेणी, प्रकार और लोडिंग क्षमता की जांच में भी गड़बड़ी पाई गई, जिससे स्पष्ट हुआ कि ट्रक यहां से गुजरे ही नहीं।

अधिकारियों और मिलर्स की मिलीभगत का खुलासा

जांच समिति ने जब पूरे फर्जीवाड़े के तार जोड़े तो कई अधिकारियों, कर्मचारियों और मिलर्स की मिलीभगत सामने आई। इस दौरान 17 मिलर्स ने धान का परिवहन करने के बजाय उसे जबलपुर में ही बेच दिया। इसमें मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन के अधिकारी, ऑपरेटर, केंद्र प्रभारी और कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल रहे।

18 में से 17 राइस मिलर संचालकों ने फर्जी परिवहन का पूरा रिकॉर्ड तैयार किया। इसके अलावा 25 सोसायटियों द्वारा राइस मिलर संचालकों और मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन जबलपुर के कर्मचारियों के साथ मिलकर अन्य जिलों में धान बेचने का रिकॉर्ड कागजों पर प्रस्तुत किया गया। इन पर अधिनियम 1955 की संबंधित धाराओं के तहत 12 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

571 ट्रक की फर्जी जानकारी पेश की गई

  • 17 मिलर्स ने यह फर्जीवाड़ा किया और टोल पर 571 ट्रकों की झूठी जानकारी प्रस्तुत की।
  • धान ले जाने वाले वाहनों में कारों के नंबर दिखाए गए।
  • ऑनलाइन पोर्टल में 324 डीओ जारी हुए, जिसमें 14 हजार मीट्रिक टन धान थी।
  • जांच टीम ने मोहतरा टोल, बहोरीपार टोल, सालीवाड़ा टोल और शहपुरा टोल की जांच की।

17 मिलर्स और दलालों ने मिलकर किया फर्जीवाड़ा

जबलपुर की 25 सोसायटियों ने कम्प्यूटर ऑपरेटर के सहयोग से बड़ा खेल खेला। उन्होंने उपार्जन केंद्र के प्रभारी और उससे जुड़े वेयरहाउस संचालक के साथ मिलकर उपार्जन केंद्र में जो धान ऑनलाइन पोर्टल पर चढ़ाया, वह भौतिक रूप से मौजूद ही नहीं था।

इनका फर्जी वाहन में परिवहन दिखाया गया। नागरिक खाद्य आपूर्ति निगम को जिन वाहनों के परिवहन की जानकारी भेजी गई, वे ट्रक नहीं बल्कि कई कारों के थे। इतना ही नहीं, जबलपुर के दलाल भी इस फर्जीवाड़े में शामिल रहे, जिन्होंने अन्य जिलों के मिलर्स को यहां लाया और विभाग के कर्मचारियों तथा सोसायटी प्रबंधकों के साथ बैठकें करवाईं।

उन्हें प्रति धान के बोरे पर लगभग एक हजार रुपये का कमीशन भी मिला, ताकि काम आसानी से हो सके। इस कमीशन का बंटवारा कई लोगों में हुआ। यह ध्यान देने योग्य है कि इनमें कई उपार्जन समिति के लोग भी शामिल हैं, जिन्हें अब तक जांच के दायरे से बाहर रखा गया है, लेकिन इनकी भी गुप्त जांच चल रही है।

कपिल शर्मा डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक मजबूत स्तंभ हैं और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर्स (पीजी) किया है। मीडिया इंडस्ट्री में डेस्क और ग्राउंड रिपोर्टिंग दोनों में उन्हें चार साल का अनुभव है। अगस्त 2023 से वे जागरण न्यू मीडिया और नईदुनिया I की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं। इससे पहले वे अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। कपिल को लिंक्डइन पर फॉलो करें – linkedin.com/in/kapil-sharma-056a591bb